भोपाल जा रहे युवाओं से दोगुना वसूली
भोपाल, इंदौर में पढ़ रहे शहर व जिले के युवाओं से दोगुना वस किराया वसूला जा रहा है। मनमाना किराया वसूली को लेकर शहर के प्रतिष्ठित सोशल ग्रुपों में लोग लगातार कमेंट और विरोध जता रहे हैं। भोपाल का किराया अधिकतम 600 रुपए है, लेकिन इन दिनों सभी बसों में 1200 रुपए से अधिक की वसूली हो रही है। लोग सोशल मीडिया ग्रुप में बस संचालकों की मनमानी वसूली को लेकर आक्रोश जताने के साथ प्रशासन से दखल देने की मांग भी कर रहे हैं।
दिल्ली, कोटा, इंदौर रुट पर भी सुघार नहीं
शहर से दिल्ली, कोटा और इंदौर जाने वाले युवाओं को भी अधिक किराया वसूली से राहत नहीं मिली है। ज्यादातर बस संचालक दो से तीन गुना किराया अभी भी वसूल रहे हैं। कुछ बस संचालकों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किराया कम दिखाया है, हालांकि जब बुकिंग करने जाते हैं तो राशि बढक़र ही ली जा रही है।
ये है समस्या
परिवहन विभाग द्वारा किराया निर्धारण के नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन उनका पालन सुनिश्चित करने के लिए किसी प्रकार की सख्त निगरानी नहीं की जाती है। कई बार यात्रियों को समय पर पहुंचने के लिए मजबूरी में बस का मनमाना किराया चुकाना पड़ता है। बस संचालकों का फायदा उठाते हुए कई बस ऑपरेटर ओवरचार्जिंग कर रहे हैं। विभाग द्वारा नियमित जांच का अभाव, अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और शिकायतों पर ध्यान न दिए जाने के कारण भी यह समस्या बढ़ रही है।
नियमों को लेकर सख्ती जरूरी
परिवहन विभाग को कड़े नियमों का पालन करवाने और नियमित जांच के लिए विशेष टीम नियुक्त करनी चाहिए। किराया वसूली को ट्रैक करने और शिकायतें दर्ज करने के लिए एक डिजिटल प्रणाली बनानी चाहिए ताकि यात्री आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। यात्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है ताकि वे ओवरचार्जिंग के खिलाफ आवाज उठा सकें और मनमाने किराए को चुनौती दे सकें। परिवहन विभाग की ओर से ठोस कदम न उठाए जाने के कारण बस ऑपरेटरों द्वारा मनमाना किराया वसूला जा रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए ताकि यात्रियों को उचित सेवाएं प्राप्त हों और उन्हें अनावश्यक आर्थिक भार से बचाया जा सके।
इनका कहना है
तय किराया से ज्यादा वसूली पर बसों पर जुर्माना लगाया गया है। परमिट निरस्त करने के लिए संबंधित आरटीओ से पत्राचार भी किया है। हमारी टीम लगातार बसों की जांच कर रही है। कार्रवाई की जाएगी।
विक्रमजीत सिंह कंग, आरटीओ