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छतरपुर

सभी वरिष्ठ गायनोलॉजिस्ट चला रही अपना निजी नर्सिंग होम,इसलिए जिला अस्पताल में प्रसूताएं परेशान

नियमानुसार निजी नर्सिग होम संचालित नहीं कर सकते हैं। लेकिन छतरपुर में नियम कायदों को ताक पर रखकर निजी नर्सिंग होम चलाए जा रहे हैं। ऊपर से जिला अस्पताल से गायब रहकर निजी नर्सिग होम में सेवाएं दी जा रही है।

छतरपुरJan 25, 2025 / 10:50 am

Dharmendra Singh

gayatri hospital

डॉ. गायत्री नामदेव का निजी नर्सिंग होम

छतरपुर. जिला अस्पताल में कार्यरत सभी वरिष्ठ गायनोलॉजिस्ट डॉक्टरों के निजी नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं। जहां वे जिला अस्पताल के ड्यूटी टाइम में भी ऑपरेशन कर रहे हैं। नियमानुसार निजी नर्सिग होम संचालित नहीं कर सकते हैं। लेकिन छतरपुर में नियम कायदों को ताक पर रखकर निजी नर्सिंग होम चलाए जा रहे हैं। ऊपर से जिला अस्पताल से गायब रहकर निजी नर्सिग होम में सेवाएं दी जा रही है। संयुक्त संचालक ने ऐसी महिला डॉक्टरों को निजी नर्सिंग होम में सेवाएं देते तीन साल पहले पकड़ा भी था, लेकिन कार्रवाई नोटिस के आगे नहीं बढ़ी, इसलिए गोरखधंधा धलल्ले से फिर से चलने लगा है।

पिछले साल डॉक्टर गायत्री नामदेव को नोडल पद से हटाया गया था


निजी नर्सिंग होम चलाने के आरोप में पिछले साल अप्रेल में डॉक्टर गायत्री नामदेव को गायनोलॉजिस्ट नोडल अधिकारी पद से हटाया गया था। सिविल सर्जन जीएल अहिरवार ने उन्हें हटाते हुए कार्रवाई के लिए कमिश्नर को भी पत्र लिखा था। सिविल सर्जन ने तब बताया था कि गायत्री नामदेव सरकारी अस्पताल से मरीजों को अपने निजी नर्सिंग होम ले जाने के लिए प्रेरित करती थी। इसकी कई शिकायतें आईं। शिकायतें सीएमएचओ और कलेक्टर से भी की गई। जिसके बाद उन्हें पद से हटाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया कि जब निजी नर्सिंग होम चलाना है तो क्यों न अस्पताल की सेवाएं समाप्त कर दी जाए। हालांकि बिडबंना देखिए नोटिस के आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई और डॉ. नामदेव आज भी धडल्ले से अपनी निजी नर्सिंग होम चला रही हैं।

कई नर्सिंग होम चला रही गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर


जिला अस्पताल में कार्यरत गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर कई वर्षों से निजी नर्सिंग होम चलाते आ रहे हैं, उनकी यह गतिविधि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की नजऱों में भी है। लेकिन कार्रवाई न होने से सरकारी डॉक्टरों के निजी नर्सिंग होम धडल्ले से संचालित हो रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस में व्यस्त रहने से सरकारी अस्पताल की सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सरकारी अस्पताल में काम करने का समय कम होने और अपनी निजी क्लिनिक के संचालन में व्यस्त होने के कारण मरीजों को उचित देखभाल नहीं मिल पा रही है।

जिला अस्पताल में सुविधाएं नहीं देते ताकि निजी में आए मरीज


जिला अस्पताल में सस्ता सुलभ इलाज देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। खासतौर पर महिला प्रसूता वार्ड में सुविधाएं दी गई हैं। लेकिन जिला अस्पताल में प्रसूताओं को जानकर उपेक्षित किया जाता है। ताकि वे या तो सुविधा शुल्क दें या फिर सरकारी डॉक्टरों के निजी अस्पताल जाएं। जिला अस्पताल के प्रसूता वार्ड में अवैध वसूली के कई मामले पिछले साल सुर्खियों में रहे। जिसके बाद स्टाफ बदला गया, लेकिन आज भी वही हालात हैं।

ऐसे हालात बनाए जाते ताकि प्राइवेट अस्पताल आएं प्रसूताएं


प्रसूती एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मरीज इमरजेंसी फेस करता है। इसी आपात स्थिति का लाभ उठाते हुए डॉक्टर प्रसूताओं से ऐसा व्यवहार करते हैं और ऐसे हालात बना देते हैं, कि प्रसूता के परिजन उनके कष्ट-परेशानी को देखकर निजी अस्पताल में जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। प्रसूताओं के साथ खिलवाड़ के कई सारे मामले सामने आने से लोग जिला अस्पताल में प्रसूती करवाने से डरने लगें है। जिनको भी जरा भी गुंजाइश हो तो वे सरकारी अस्पताल से निकलकर सरकारी डॉक्टर के निजी नर्सिंग होम चले जाते हैं। ताकि कैसे भी करके जच्चा बच्चा सुरक्षित रहें। इसी मानसिकता का लाभ उठाते हुए निजी नर्सिंग होम फलफूल रहे हैं।

इनका कहना है


मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और यदि कोई नियमों का उल्लंघन पाया गया, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ

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