इस मौके पर इन राज्यों के प्रतिनिधियों का सम्मान किया गया। साथ ही इन राज्यों की संस्कृति को उजागर करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी हुआ।राज्य दिवस के बारे में राज्यपाल ने कहा कि एक जमाना था जब यह दिवस राज्य विशेष तक सीमित थे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत की वजह से इसको विस्तार मिला है, और देश के अन्य राज्यों में भी इस तरह का आयोजन हो रहा है। प्राचीन भारत भी ऐसा ही था, जहां एक कोने से दूसरे कोने की यात्रा करने वाले लोग स्वयं की पहचान किसी राज्य के निवासी के रूप में नहीं देते थे। मार्ग भर में उनकी सेवा-सुश्रुषा होती थी। लोगों में जाति, भाषा और कुल के आधार पर भेदभाव नहीं था और न ही उस जमाने में अगड़े-पिछड़े व बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक का ही भेद था। यह विभाजनकारी सोच ब्रिटिश हुकूमत की देन है।
अपनी और स्थानीय संस्कृति दोनों को मनाएं रवि ने आपसी भेद भुलाने का आह्वान करते हुए कहा कि नए राज्यों के निर्माण के बाद विभाजक तत्वों को बढ़ावा मिला औरआपसी एकता की भावना का हृास होने लगा। इसी एकता की भावना को हमें जीवित करना है। हम जहां-कहीं भी पलायन करें अपनी संस्कृति को साथ लेकर जाएं तथा वहां की स्थानीय संस्कृति को अपनाते हुए इसे मनाएं। देश की युवा पीढ़ी अंग्रेजी शिक्षा नीति का शिकार है, जो इन सांस्कृतिक मूल्यों से दूर होती जा रही है। याद रखें कि राजनीति विभाजित करती है तो सांस्कृतिक मूल्य आपस में जोड़ते हैं।
बेहतर प्रशासन के लिए बने राज्य मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना राज्यपाल ने संघ सरकार शब्द को समझाया कि आजादी से पहले एक ही भारत था जिसका भाषाई आधार पर बंटवारा बेहतर प्रशासन और आमजन के हितों में किया गया। जबकि अमरीका में कई राज्यों ने आपस में मिलकर परिसंघ बना लिया। संभवत: भविष्य में और नए राज्य भी बन सकते हैं। हालांकि राज्यों में भेद राजनीतिक कारणों से है। ऐसे में राज्यों का स्थापना दिवस उसकी जनता और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए मनाया जाना चाहिए। देश की अखंडता को बरकरार रोकने लिए इसकी विविधता को मनाने की जरूरत है।
सम्मान और सांस्कृतिक कार्यक्रमइससे पहले राज्यपाल ने पूर्व प्रशासक डा. सीके गरियाली की पुस्तक ‘कश्मीर दी लैंड ऑफ कश्यप’ का विमोचन किया। मध्यप्रदेश प्रवासी संघ के नवल राठी, सुरेखा राठी और डा. स्वाति पालीवाल समेत विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल का सम्मान किया। इसी मौके पर राज्यपाल ने डा. स्वाति पालीवाल, गुरु नानक कॉलेज के सचिव मंजीत सिंह नैयर समेत गणमान्य नागरिकों का सत्कार किया। सम्मान कार्यक्रम और भाषण के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए।