इस लेमिनेशन मशीन के अल्ट्रावायलेट किरणों व 150 डिग्री सेंटीग्रेड के ताप से होकर नोटों को गुजारते हुए सैनिटाइज किया जा रहा है। चाईबासा के बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में इस मशीन की शुरुआत की गई। जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल और उपविकास आयुक्त आदित्य रंजन ने इस मशीन को उपयोगी बताते हुए कहा कि देश में ऐसे कई उदाहरण मिले हैं जहां करेंसी नोटों से संक्रमण होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में जहां भी करेंसी नोट का प्रचलन है वहां यह मशीन कारगर साबित होगी। करेंसी डिसइंफेक्टेड मशीन पाकर बैंक और रेलकर्मी बेहद खुश दिखे।
डीडीसी ने लेमिनेशन करने वाली मशीन में हल्का बदलाव कर यह खास मशीन बनाई है, इसमें 11 वाट का अल्ट्रा वॉयलेट बल्ब लगाया गया है, जिससे मशीन में 150 डिग्री तापमान जेनरेट होगा और जैसे ही इस मशीन में एक तरफ से करेंसी या चेक डाल जाएंगे, दूसरी तरह से वे सेनिटाइज होकर निकल जाएंगे। इससे नोटों के कोरोना संक्रमित होने का खतरा बिल्कुल नहीं रहेगा। कोरोना संक्रमण के इस दौर में जिन जगहों पर करेंसी का लेन-देन अधिक होता है, वहां यह मशीन बेहद कारगार सिद्ध होगा। इस डिसइंफेक्टेड मशीन को बैंक और रेलवे काउंटरों पर लगाने की योजना है। इस मशीन को महज 3 हजार रुपये की लागत में लेमिनेशन मशीन में बदलाव कर तैयार किया गया है।
डीडीसी आदित्य रंजन ने बताया कि टीवी पर महाराष्ट्र के एक व्यक्ति को कपड़ा आयरन करने वाली इस्त्री से करेंसी को आयरन करते देखा, तो इस मशीन को बनाने के आइडिया आया। यह मशीन करेंसी के लेन-देन करने वाले बैंक और रेलवे कर्मचारियों के अलावा दुकानदार को कोरोना संक्रमित होने से बचाएगा।
इंजीनियर से आईएएस बने डीडीसी आदित्य रंजन ने इससे पहले पीपीई किट के विकल्प के तौर पर सैम्पल कलेक्शन बूथ, सेनिटाइजर चैंबर, फेस शील्ड, रोबोटिक कोबोट बना चुके हैं, इसकी देशभर में काफी सराहना हुई थी। कोबोट कोरोना मरीजों को अस्पताल में दवा और खाना पहुंचाने के काम आ रहा है।