India-China Tension: पीएम मोदी का जवाब, हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
17 दिन पहले ही लिया था बेटी ने जन्म
झारखंड के साहिबगंज जिले के दीहरी गांव निवासी 26 वर्षीय कुंदन कुमार ओझा भी Galwan Valley में चीन का सामना करते हुए शहीद हो गए। 2011 में वह बिहार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। शहीद जवान के घर 17 दिन पहले ही बिटिया ने जन्म लिया था। जल्द ही वापस लौटने की कहकर घर से ड्यूटी पर गए कुंदन कुमार देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर गए। 2017 में ही बिहार के नीरहटी गांव की नेहा से उनकी शादी हुई थी। कुंदन दोस्तों के बेहद चेहेते थे। वह उनसे जल्दी ही आकर मिलने की बात कहकर गए थे। लेकिन इसी बीच उनकी शहादत की खबर आ गई। यह बात पता चलने के बाद से ही गांव में शौक की लहर है।
खोया इकलौता कमाने वाला शख्स, फिर भी गर्व से भरा परिवार
इधर झारखंड के ही पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल के कोसाफालिया गांव निवासी जवान गणेश हांसदा भी Galwan Valley में वीरगति को प्राप्त हुए। गणेश में बचपन से ही सेना में जाने की तीव्र इच्छा थी। देश की सेवा कर वह अपने माता—पिता का नाम रोशन करना चाहता था। 2015 में मैट्रिक पास करने के बाद वह तैयारियों में जुट गए थे। 2018 में वह सेना में शामिल हो पाए। कठोर ट्रेनिंग पूरी कर 2020 की मकर सक्रांति पर उन्हें पहली पोस्टिंग मिली।
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परिवार में खुशी की लहर थी। परिजनों को आशा थी कि देश सेवा करने का बेटे का सपना भी पूरा होने जा रहा है इसी के साथ परिवार की स्थिति भी अब सुधरेगी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। गणेश के गांव में मातम पसरा है। लेकिन हर किसी को गणेश की शहादत पर गर्व है। हर कोई उसके किस्से याद कर रहा है। उनके बड़े भाई का कहना है कि भाई की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता लेकिन मातृभूमि के लिए गणेश ने प्राण न्यौछावर कर दिए इस पर बेहद गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें भी मौका दिया जाए तो वह देशसेवा से कतई पीछे नहीं हटेंगे। जवान गणेश के परिवार में बड़े भाई और माता-पिता हैं। थोड़ी आर्थिक हालत ठीक नहीं है। गणेश परिवार में इकलौते कमाने वाले शख्स थे। वृद्ध पिता बहुत पहले काम छोड़ चुके हैं।