भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों के माध्यम से अध्यनरत बच्चों को पाठ्यक्रम में पढ़ाने के मकसद से वर्चुअल क्लॉस-रूम योजना चलाई जा रही है। वर्तमान में यह योजना 148 सरकारी स्कूल में संचालित हो रही है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, वर्चुअल कक्षा के अंतर्गत विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों को टेली टीचर के रूप में चयनित कर प्रशासन अकादमी में राज्य शिक्षा केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षित करवाया गया है। वर्चुअल क्लॉस अंतर्गत प्रतिमाह कठिन विषयों को विषयवार चयनित कर समय-सारणी जारी कर अध्यापन कार्य करवाया जा रहा है। वर्चुअल क्लॉस में शिक्षण कार्य द्विपक्षीय वीडियो द्वारा संचालित किया जा रहा है। पिछले शैक्षणिक सत्र 2016-17 में कक्षा 9वीं के लिए ब्रिज कोर्स का अध्यापन वर्चुअल क्लॉस के माध्यम से करवाया गया। अगस्त-2016 में कक्षा-9 और 10वीं के गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत एवं हिन्दी तथा कक्षा-11वीं एवं 12वीं के रसायन-शास्त्र, भौतिक-शास्त्र, गणित जीव-विज्ञान, अंग्रेजी एवं वाणिज्य विषय के कठिन विषयों का अध्यापन कार्य वर्चुअल क्लॉस के माध्यम से करवाया गया।MP में अब कॉलेज से प्रोफ़ेसर गायब हुए तो होगी ये कार्रवाई, पढ़ें नया आदेशभोपाल. अब मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर को परीक्षा और निरीक्षण करने के लिए उसी शर्त पर छोड़ा जाएगा, जिससे विद्यार्थियों की कक्षाएं प्रभावित नहीं हों। प्रोफेसर विभिन्न कार्यों के नाम पर कक्षाओं से गायब रहते हैं। आगे से एेसा होता है, तो इन कॉलेजों के प्राचार्यों पर कार्रवाई की जाएगी। प्रोफेसर विभिन्न कमेटियों में सदस्य के रूप में कार्य के नाम पर कक्षाएं अटेंड नहीं करते। प्रमुख सचिव आशीष उपाध्याय ने मंगलवार को कॉलेज प्राचार्यों को आदेश जारी किए हैं। इसके मुताबिक प्रोफेसर विभिन्न कमेटियों में शामिल होकर कक्षाएं नहीं लेते हैं। आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए। टाइम टेबल के अनुरूप कक्षाओं के समय किसी भी प्रोफेसर को अन्य किसी कार्य से महाविद्यालय छोडऩे की अनुमति नहीं दी जाए।औचक निरीक्षण होगासूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव उपाध्याय कॉलेजों के औचक निरीक्षण कराने की तैयारी में हैं। इससे पहले उन्होंने सभी कॉलेज के प्राचार्यों को चेतावनी जारी की है। उन्होंने आदेश जारी कर कहा कि यदि प्रोफेसर कॉलेज समय में अन्य किसी कार्य से कॉलेज में नहीं मिलता है तो नियंत्रणकर्ता के रूप में प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसे कर्तव्य में चूक माना जाएगा।प्राचार्य नहीं करते अपने अधिकार का इस्तेमालअभी तक प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग सहित अन्य परीक्षा में ड्यूटी में रहते हैं। इसके अलावा सेमेस्टर परीक्षाओं में फ्लाइंग स्क्वाड में शामिल होने के नाम पर कई दिनों तक गायब रहते हैं। इस पर प्राचार्य चाहें तो संबंधित परीक्षाओं में ड्यूटी लगाने से इंकार कर सकते हैं। लेकिन प्राचार्य अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं करते। संबंधित एजेंसी के कहे अनुसार ड्यूटी तय कर देते हैं। इसके कारण विद्यार्थियों का समय पर पूरा कोर्स भी नहीं हो पाता है।