SBI कैपिटल सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैब प्रोवाइडर्स की वजह से कार कंपनियों की बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हुई है। पिछले दो सालों में पैसेंजर वाहनों की कुल मांग में एक तिहाई हिस्से की कमी आयी है। जिसकी वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में मायूसी का माहौल है।
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कैब सर्विस की वजह से घटी मांग- दरअसल दिनोदिन बढ़ते ट्रैफिक और पार्किंग की समस्य़ा से निजात पाने के लिए लोग कार होने के बावजूद उन्हें निकालना पसंद नहीं करते और तो और अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से कैब बुक करने से न सिर्फ इन दोनों समस्याओं से मुक्ति मिलती है बल्कि कार की मेंटीनेंस और पेट्रोल की भी फिक्र नहीं होती।
आपको बता दें कि सिर्फ ओला (OLA) ऊबर (UBER) जैसी टैक्सी सर्विसेज ही नहीं बल्कि पैसेंजर कारों की मांग में कमी का एक बड़ा कार पेट्रोल -डीजल की बढ़ती कीमते भी हैं । जिसके चलते लोग कार खरीदने से झिझकते हैं । वहीं इंश्योरेंस प्रीमियम और कैश की कमी भी कार की मांग कम होने में एक अहम भूमिका निभाता है।
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पिछले वित्तीय वर्ष में अधिकतर फोर व्हीलर निर्माता कंपनियों की बिक्री में कोई खास ग्रोथ दर्ज नहीं की गयी है। घटी मांग से परेशान होकर फोर्ड दैसी कंपनियां तो भारतीय कार बाजार से विदा लेने तक का मन बना चुकी हैं।