स्विगी आईपीओ में निवेशकों की प्रतिक्रिया (Swiggy IPO)
स्विगी के इस आईपीओ (Swiggy IPO) में अलग-अलग निवेशकों की प्रतिक्रिया को समझना दिलचस्प है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व हिस्से को सबसे ज्यादा 6.02 गुणा सब्सक्रिप्शन मिला, जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) के हिस्से में मात्र 0.41 गुणा सब्सक्रिप्शन दर्ज हुआ। रिटेल निवेशकों के हिस्से में भी मध्यम प्रतिक्रिया रही, जिसमें 1.14 गुणा का सब्सक्रिप्शन प्राप्त हुआ है। कंपनी के कर्मचारियों ने भी इस आईपीओ (IPO) में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और उनके लिए रिजर्व हिस्से को 1.65 गुणा सब्सक्राइब किया गया है। स्विगी का प्राइस बैंड 371 रुपये से 390 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है, और कंपनी के शेयर 13 नवंबर को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट हो सकते हैं। इस आईपीओ (Swiggy IPO) के तहत अलॉटमेंट 11 नवंबर को किया जा सकता है। ये भी पढ़े:- 5वें हफ्ते भी विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, भारतीय गोल्ड रिजर्व 1.2 अरब डॉलर बढ़ा फूड डिलीवरी के क्षेत्र में स्विगी का स्थान
भारत में फूड डिलीवरी क्षेत्र में स्विगी, जोमैटो के बाद दूसरे स्थान पर है। फूड डिलीवरी बाजार में जोमैटो का 58 प्रतिशत और स्विगी का लगभग 34 प्रतिशत का हिस्सा है। दोनों कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है, जिसमें ग्राहकों को बेहतर सुविधा, तेजी से डिलीवरी, और अधिक विकल्प प्रदान किए जा रहे हैं। स्विगी का इंस्टामार्ट क्विक कॉमर्स सेगमेंट में अपनी पकड़ बनाने का प्रयास कर रहा है। क्विक कॉमर्स में जोमैटो के ब्लिंकिट का मार्केट शेयर 40 से 45 प्रतिशत है, जबकि स्विगी के इंस्टामार्ट का बाजार हिस्सेदारी 20 से 25 प्रतिशत है।
स्विगी और जोमैटो का मुकाबला
स्विगी के आईपीओ (Swiggy IPO) के लिए जो सबसे अहम सवाल है, वह यह है कि इसे जोमैटो के मुकाबले कैसे देखा जाए। फूड डिलीवरी बाजार में जोमैटो और स्विगी के बीच प्रतिस्पर्धा काफी तीव्र है। जहां जोमैटो का भारतीय बाजार में 58% हिस्सा है, वहीं स्विगी के पास 34% बाजार हिस्सेदारी है। जोमैटो की तुलना में स्विगी का आईपीओ (Swiggy IPO) थोड़ा बाद में आया, और इस समय जोमैटो का आईपीओ (Zomato IPO) पहले ही सफलता प्राप्त कर चुका था। इससे स्विगी को निवेशकों का पूरा समर्थन प्राप्त नहीं हो पाया, लेकिन अंतिम दिन के 3.59 गुना सब्सक्रिप्शन ने इसे एक सकारात्मक संकेत बना दिया है। ये भी पढ़े:- भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटी, 12 साल के निचले स्तर पर पहुंची कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन
पिछले तीन वित्तीय वर्षों में, स्विगी ने कंसोलिडेटेड आधार पर लगातार घाटा दर्ज किया है। कंपनी की आय वित्त वर्ष 2021-22 में 6,119 करोड़ रुपये थी, परंतु इस दौरान 3,628.90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 में स्विगी की आय बढ़कर 8,714 करोड़ रुपये हो गई, लेकिन घाटा बढ़कर 4,179 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी की आय में और वृद्धि हुई और यह 11,634 करोड़ रुपये हो गई, लेकिन इस दौरान भी स्विगी ने 2,350 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। वित्त वर्ष 2024-25 की जून तिमाही में स्विगी ने 3,310.11 करोड़ रुपये की कुल आय अर्जित की, जबकि इस अवधि में कंपनी ने 611.01 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है।