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अब भारत में छह निजी कंपनियां भी बेचेंगी पेट्रोल-डीजल, उपभोक्ताओं को हो सकता है फायदा

माना जा रहा है कि ये नई कंपनियां पेट्रोल-डीजल मार्केट में चल रही प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएंगी और देश के दूर-दराज एवं ग्रामीण इलाकों में भी ईंधन की सप्लाई सुचारू रुप से की जा सकेगी।

Aug 24, 2021 / 11:10 am

सुनील शर्मा

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नई दिल्ली। देश में बहुत जल्दी छह निजी कंपनियां पेट्रोल-डीजल मार्केट में कदम रखने वाली हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जल्दी ही सरकार इन सभी कंपनियों को पेट्रोल-डीजल बेचने की अनुमति दे सकती है। इन कंपनियों के नाम आईएमसी, ऑनसाइट एनर्जी, असम गैस कंपनी, एमके एग्रोटेक, आरबीएमएल सॉल्यूशंस इंडिया, मानस एग्रो इंडस्ट्रीज और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड बताए गए हैं। इन कंपनियों के कारोबार स्टार्ट करने के बाद देश में कुल 14 कंपनियां पेट्रोल-डीजल बेचना शुरू कर देंगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में संशोधित मार्केट ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल्स नियम जारी किए गए थे। इनमें निजी कंपनियों को ईंधन बाजार में कारोबार करने की अनुमति देने का प्रावधान किया गया था।
वर्तमान में सरकारी कंपनियों का है दबदबा
पेट्रोलियम मार्केट में वर्तमान में देश की सरकारी कंपनियों ने पूरी तरह से नियंत्रण किया हुआ है। मार्केट का लगभग 90 फीसदी कारोबार सरकारी कंपनियों के हाथ में है, बाकी दस फीसदी हिस्सा आरआईएल, शैल तथा नायरा एनर्जी के पास है। माना जा रहा है कि ये नई कंपनियां मार्केट में चल रही प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएंगी और देश के दूर-दराज एवं ग्रामीण इलाकों में भी ईंधन की सप्लाई की जा सकेगी। देश में वर्तमान में कुल 77094 पेट्रोल पंप हैं। इनमें से आइओसी (IOC) के पास 32062, बीपीसीएल (BPCL) के पास 18637, एचपीसीएल (HPCL) के पास 18634, आरआइएल/ आरबीएमएल के पास 1420, एनईएल (NEL) के पास 6059 एवं शैल के पास 264 पेट्रोल पंप हैं। शेष 18 पेट्रोल पंप अन्य के पास हैं।
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आम आदमी को होगा फायदा
एक्सपर्ट्स के अनुसार सरकार ने पेट्रोलियम रिटेल बिजनेस में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए निजी कंपनियों को कारोबार की अनुमति दी है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जिन कंपनियों की न्यूनतम नेटवर्थ 250 करोड़ रुपए हैं, उन्हीं को लाइसेंस दिया जाएगा। कंपनियों को इस कारोबार में न्यूनतम 2000 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट करना होगा। इसके अलावा लाइसेंस मिलने के पांच वर्ष के अंदर ही कंपनियों को कम से कम सौ आउटलेट्स तैयार करने होंगे जिनमें से पांच फीसदी देश के दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में होने चाहिए।
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आपको बता दें कि वर्तमान में सरकारी कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में प्रतिदिन फेरबदल करती हैं। नई कंपनियों को कारोबार की छूट देने से मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और पेट्रोल-डीजल की कम कीमतों के रूप में आम उपभोक्ताओं तक इसका लाभ पहुंचेगा।

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