पेट्रोलियम मार्केट में वर्तमान में देश की सरकारी कंपनियों ने पूरी तरह से नियंत्रण किया हुआ है। मार्केट का लगभग 90 फीसदी कारोबार सरकारी कंपनियों के हाथ में है, बाकी दस फीसदी हिस्सा आरआईएल, शैल तथा नायरा एनर्जी के पास है। माना जा रहा है कि ये नई कंपनियां मार्केट में चल रही प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएंगी और देश के दूर-दराज एवं ग्रामीण इलाकों में भी ईंधन की सप्लाई की जा सकेगी। देश में वर्तमान में कुल 77094 पेट्रोल पंप हैं। इनमें से आइओसी (IOC) के पास 32062, बीपीसीएल (BPCL) के पास 18637, एचपीसीएल (HPCL) के पास 18634, आरआइएल/ आरबीएमएल के पास 1420, एनईएल (NEL) के पास 6059 एवं शैल के पास 264 पेट्रोल पंप हैं। शेष 18 पेट्रोल पंप अन्य के पास हैं।
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आम आदमी को होगा फायदाएक्सपर्ट्स के अनुसार सरकार ने पेट्रोलियम रिटेल बिजनेस में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने के लिए निजी कंपनियों को कारोबार की अनुमति दी है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जिन कंपनियों की न्यूनतम नेटवर्थ 250 करोड़ रुपए हैं, उन्हीं को लाइसेंस दिया जाएगा। कंपनियों को इस कारोबार में न्यूनतम 2000 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट करना होगा। इसके अलावा लाइसेंस मिलने के पांच वर्ष के अंदर ही कंपनियों को कम से कम सौ आउटलेट्स तैयार करने होंगे जिनमें से पांच फीसदी देश के दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में होने चाहिए।