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कागजी समझौते, निवेश का इंतजार

भीलवाड़ा में होने वाले निवेश शिखर सम्मेलन में जिंदल समूह ने 2500 करोड़ के स्टील प्लांट के लिए तीसरा एमओयू करने की तैयारी कर ली है। पहले के दो एमओयू के बावजूद प्लांट नहीं लगा, फिर भी सरकार ने समय बढ़ा दिया है।

भीलवाड़ाOct 28, 2024 / 05:56 pm

Patrika Desk

भीलवाड़ा में होने वाले इंवेस्टमेंट समिट के लिए तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस समिट में कुछ ऐसे एमओयू भी शामिल हैं जो पहले भी किए जा चुके हैं। जिंदल सॉ लिमिटेड ने लगातार तीसरी बार राज्य सरकार के साथ 2500 करोड़ के एमओयू की तैयारी कर ली है। जिंदल ने स्टील प्लांट लगाने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन सवाल उठता है कि पिछले दो एमओयू के बाद भी स्टील प्लांट क्यों नहीं लगा?
जिंदल को वर्ष 2014 में पुर में स्टील प्लांट लगाना था, लेकिन समय निकलता गया और खनिज अधिकारी प्लांट लगाने की अवधि बढ़ाते गए। जिंदल पहले भी दो बार ऐसे करार कर चुका है। वर्ष 2012 में सरकार ने जिंदल को डेडवास और लापिया में 1,989 हैक्टेयर के दो खनन पट्टे दिए थे। शर्तों के अनुसार जिंदल को दो साल में स्टील प्लांट लगाना था। शर्त पूरी नहीं करने पर खान विभाग ने 12 दिसंबर 2015 को जिंदल को नोटिस दिया, लेकिन न स्टील प्लांट लगा और न ही नोटिस पर कोई कार्रवाई हुई।
तीसरी बार एमओयू होने जा रहा है, लेकिन इस बार भी जिंदल ने 45 बीघा जमीन आवंटन का आवेदन किया है जो अभी तक लंबित है। आवंटन की शर्तों के अनुसार 8 दिसम्बर 2012 तक पैलेटाइजेशन और 8 दिसम्बर 2014 तक स्टील प्लांट लगाना था। पैलेटाइजेशन प्लांट कंपनी लगा चुकी है, लेकिन स्टील प्लांट नहीं लगाया। खान विभाग ने 19 जून 2023 को आदेश जारी कर दिसंबर 2027 तक के लिए अवधि बढ़ा दी। प्लांट नहीं लगाने पर दोनों खनन पट्टे निरस्त कर जमा 10 करोड़ रुपए जब्त करने का प्रावधान है।
इसके अलावा, होटल क्षेत्र में 500 करोड़ का एमओयू करने वाले एक व्यवसायी ने बताया कि वह एमओयू से मना कर चुका है, फिर भी सूची में उसका नाम है। कांग्रेस सरकार के दौरान भी इसी होटल व्यवसायी ने 500 करोड़ का एमओयू किया था। एक टेक्सटाइल ग्रुप भी फिर से 1500 करोड़ का एमओयू कर रही है, जिसने कांग्रेस सरकार के समय भी 1500 करोड़ का एमओयू किया था।
इन सबके बीच सवाल उठता है कि क्या ये एमओयू सिर्फ कागजों पर ही रहेंगे या वास्तव में इनसे रोजगार और विकास आएगा? सरकार को इन एमओयू को लेकर गंभीरता दिखानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि इनसे वास्तविक लाभ मिले।

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