दीपों के पर्व दिवाली पर आप तेल के दीये नहीं जला पाएंगे, क्योंकि दाल की
कीमतों के बाद सरसों तेल की कीमतों ने रफ्तार पकड़ ली है। जहां सरकार के
काफी प्रयास के बाद कालाबाजारी पर
लगाम लगने से अरहर दाल की कीमतों में तो गिरावट आई है, लेकिन देशभर में
सरसो तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं।
दीपों के पर्व दिवाली पर आप तेल के दीये नहीं जला पाएंगे, क्योंकि दाल की कीमतों के बाद सरसों तेल की कीमतों ने रफ्तार पकड़ ली है। जहां सरकार के काफी प्रयास के बाद कालाबाजारी पर
लगाम लगने से अरहर दाल की कीमतों में तो गिरावट आई है, लेकिन देशभर में
सरसो तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं।
रिपोर्ट की मानें तो पिछले
एक साल में सरसो तेल की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ोतरी
को जहां व्यापारी वर्ग कम पैदावार की मान रहा है वहीं विशेषज्ञों इसकी
वजह कालाबाजारी मान रहे हैं। कमरतोड़ महंगाई त्योहारों के रंग को भी फीका
कर सकती है।
खुदरा बाजार में सरसों तेल की कीमत 130 से 140 रुपए हो
गई है। पिछले एक से दो माह में ही कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और 80 से 90
रुपए प्रति लीटर बिकने वाला सरसो तेल 130 से 150 रुपए तक बिक रहा है।
लोग
नरेंद्र मोदी सरकार को महंगाई रोकने में पूरी तरह असफल मान रहे हैं। पिछले
साल इसी समय सरसों तेल की कीमत खुदरा बाज़ार में तकरीबन 90-100 रुपए प्रति
लीटर थी। अभी खुदरा बाज़ार में सरसों का तेल 150 रुपए प्रति लीटर तक का
बिक रहा है।
अलग-अलग
कंपनियों और क्वालिटी के सरसों के तेल की एमआरपी तो 150-170 तक की रेंज
में है। अभी इसके दरों में 30 से 40 रुपए का इजाफा हो गया है। दाल और
सब्जियों की कीमतों से परेशान आम आदमी अब सरसो तेल की कीमतों से चिंतित
हैं।
कुछ
जगहों पर दीपावली में सरसो तेल के ही दिए जताए जाते हैं, ऐसे में
त्योहारों का रंग फीका पड़ना तय है। सफल और केंद्रीय भंडार जैसे सरकारी
स्टोर्स जहां रियायती दरों पर सामान मिल जाता वहां भी सरसों का तेल पिछले
साल के मुकाबले 15-20 रुपए महंगा मिल रहा है।
सरसो
तेल की कीमतों में इजाफे का मुख्य कारण कालाबाजारी और जमाखोरी को बताया
जा रहा है। इस तरह अब सरसों तेल आपके घर का बजह बिगारने वाला है क्योंकि
अगली फसल पांच माह बाद मार्च से अप्रैल के बीच आएगी।
Hindi News / Business / महंगाई की मार से दिवाली पर तेल के दीये जलाना हुआ मुश्किल!