आरबीआई एक डिस्कशन पेपर लेकर आया है जिसमें उसने यूपीआई से की जा रही पेमेंट पर चार्ज वसूलने के संकेत दिए हैं। इस नए प्लान के तहत rbi ने संकेत दिए हैं कि, “फंड ट्रांसफर सिस्टम के रूप में IMPS की तरह ही UPI भी काम करता है। इसलिए यूपीआई के जरिए फंड ट्रांसफर लेन-देन के लिए आईएमपीएस के समान ही चार्ज लगना चाहिए। इसके लिए अलग-अलग अमाउन्ट के आधार पर चार्ज निर्धारित किये जा सकते हैं।” वर्तमान में यूपीआई के तहत किसी भी तरह के ट्रांजेक्श पर कोई चार्ज नहीं लगता है।
यूपीआई को वर्ष 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा लॉन्च किया गया था। आज ये आम जनता के लिए किसी भी तरह के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए गो टू प्लेटफॉर्म बन चुका है। इसे देश में डिजिटल पेमेंट में क्रांति सी आ गई और आज ये किसी भी कार्ड पेमेंट के विकल्प के तौर पर उभरा है।
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यूपीआई अबतक किसी भी छोटे या बड़ी पेमेंट के लिए पहली पसंद बनकर आम जनता और व्यापारियों में उभरा है। एक तरह से इसके मुकाबले में फिलहाल कोई अन्य नजर नहीं आ रहा। पर इसपर चार्ज लगता है तो इसका एकाधिकार खत्म हो सकता है और यूजर दूसरे प्लेटफॉर्म जिससे कॉम्पिटिशन बढ़ सकता है। अन्य पेमेंट के विकल्प इसके खिलाफ कमर कस सकते हैं।हालांकि,आरबीआई अभी इसपर विचार कर रहा है और आने वाले समय में कोई बड़ा स्टेप ले सकता है। अपनी डिस्कशन कॉपी में RBI ने पूछा है कि अगर यूपीआई ट्रांजेक्शन चार्ज किया जाता है, तो क्या ट्रांजैक्शन वैल्यू के आधार पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लगाया जाना चाहिए या ट्रांजेक्शन वैल्यू के बावजूद MDR के रूप में एक निश्चित राशि चार्ज की जानी चाहिए?
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इसके अलावा, आरबीआई ने इस पर प्रतिक्रिया मांगी है कि क्या आरबीआई को शुल्कों पर फैसला करना चाहिए या बाजार को ये निर्धारित करने की अनुमति दी जानी चाहिए कि क्या शुल्क लागू किए गए हैं।क्या है MDR: मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) वो चार्ज होता है, जो दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर आपसे लेता है। ये चार्ज कार्ड से भुगतान स्वीकार करने वाले व्यापारी बैंक को चुकाते हैं।