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देश के नाम कर दी थी 196 करोड़ रुपए की संपत्ति
रिकॉर्ड के आधार पर देश के पहले प्रधानमंत्री के पास 1947 में करीब 200 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। उस समय देश गुलामी और बंटवारे के बाद काफी टूट चुका था। ऐसे समय में देश के कई नामी गिरामी उद्योगपतियों के अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू खुद आगे आए और अपनी कुल संपत्ति में से 98 फीसदी संपत्ति राष्ट्र निर्माण के नाम कर दी। यानी 198 करोड़ रुपए उन्होंने देश के नाम कर दिए। अपने पास कुल 4 करोड़ रुपए रखे। उस वक्त देश को इन रुपयों की काफी जरुरत थी। ताकि देश को विकास की ओर लाया जा सके। जिसके तहत लवाहर लाल नेहरू की यह कुर्बानी काफी बड़ी थी। उस समय किसी नेता ने देश के नाम इतनी बड़ी संपत्ति दान नहीं की थी।
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दंगा पीडि़तों में कर देते थे पूरा खर्च
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जवाहर लाल नेहरू अपनी संपत्ति राष्ट्र को दे चुके हैं। देश के प्रधानमंत्री भी बन चुके थे। उसके बाद भी उनकी जेब में 200 रुपए से ज्यादा नहीं होते थे। उन रुपयों को भी वो बंटवारे के दौरान हुए दंगा पीडि़तों पर खर्च कर देते थे। ऐसा समय भी आया जब उनके निजी सचिव ने तंग आकर उनकी जेब और पर्स में रुपए रखने छोड़ दिए। उसके बाद जवाहर लाल नेहरू अधिनस्थ कर्मचारियों से रुपए उधार लेकर पीडि़तों की आर्थिक सहायता करते थे। नेहरू के निजी सचिव मथाई ने अपनी किताब में लिखा है कि उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित शिमला घूमने गई थीं। वो वहां महंगे सर्किंग हाउस में रुकीं। उसके बाद बिना बिल चुकाए लौट आईं। तब जवाहर लाल ने किस्तों में उस सर्किंग हाउस का बिल चुकाया।