दूसरा सबसे बड़ा GST कलेक्शन (GST Collection)
अक्टूबर का GST कलेक्शन अब तक का दूसरा सबसे बड़ा रहा है। इससे पहले इस साल अप्रैल में सर्वाधिक 2.10 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन दर्ज किया गया था। इस बार अक्टूबर में CGST, SGST, IGST और सेस सभी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। अक्टूबर में केंद्र सरकार को केंद्रीय जीएसटी (CGST) के रूप में 33,821 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि राज्य जीएसटी (GST Collection)(SGST) के तहत राज्यों को 41,864 करोड़ रुपये मिले। इसके अतिरिक्त, सरकार को इंटीग्रेटेड जीएसटी (IGST) के माध्यम से 99,111 करोड़ रुपये और सेस से 12,550 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। ये भी पढ़े:- मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान शेयर बाजार में चढ़ाव, सेंसेक्स में 300 अंकों से ज्यादा की बढ़त, बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार खरीदारी अक्टूबर में थम गई गिरावट
जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) में पिछले दो महीनों की गिरावट का सिलसिला अक्टूबर में थम गया है। जुलाई में 1.82 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन दर्ज हुआ था, जो अगस्त में 3.8% घटकर 1.75 लाख करोड़ और सितंबर में 1.14% गिरकर 1.73 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, अक्टूबर में जीएसटी (GST Collection) संग्रह सितंबर के मुकाबले 8.1% की वृद्धि के साथ सुधार हुआ। फेस्टिव सीजन के बावजूद अक्टूबर में सालाना आधार पर वृद्धि 10% से अधिक नहीं हो पाई।
जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी का क्या है कारण?
जीएसटी संग्रह (GST Collection) न केवल उत्सव के मौसम में अधिक खपत के चलते बढ़ा है, बल्कि कर में सुधार और डिजिटल भुगतान के उपयोग में वृद्धि ने भी अहम भूमिका निभाई है। साथ ही, कई व्यापारियों ने समय पर टैक्स का भुगतान किया है जिससे जीएसटी संग्रह (GST Collection) में यह तेजी आई है।
राज्यों को मिलेगा अधिक राजस्व हिस्सा
जीएसटी संग्रह में वृद्धि का लाभ राज्यों को भी मिलेगा। केंद्र सरकार इस संग्रह का एक हिस्सा राज्यों को वितरित करती है, जिससे उन्हें अपने बजट को मजबूत करने में मदद मिलेगी। राजस्थान, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में यह बढ़ा हुआ राजस्व उनके विकास कार्यों को गति देने में सहायक साबित होगा। ये भी पढ़े:- गोवर्धन पूजा पर सोना चांदी खरीदने से पहले जान लें आज के ताजा रेट, यहां करें जांच GST संग्रह का आर्थिक विकास पर प्रभाव
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीएसटी संग्रह में यह रिकॉर्ड बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का प्रमाण है। इससे सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने का मौका मिलेगा और बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश के नए अवसर उत्पन्न होंगे।