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बजट 2022 से वेतन भोगियो को इस बार बड़ी उम्मीदें हैं। दरअसल, इनके लिए इस समय धारा 16 के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की रकम 50,000 रुपए निर्धारित है। लंबे समय से इसको बढ़ाकर 1 लाख रुपए करने की मांग की जा रही है। वेतन भोगियों को उम्मीद है की इसको बढ़ाया जाए।
आम आदमी को बजट से उम्मीद है कि इस बार के बजट में सरकार करमुक्त आय की सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकती है।
इस साल का केंद्रीय बजट टैक्स और वेवर में कुछ प्रमुख छूट, रॉ मैटेरियल पर जीएसटी में कटौती की पेशकश करके रीयल एस्टेट क्षेत्र में सहायक भूमिका निभा सकता है। रियल एस्टेट मार्केट में निवेश में कुछ तेजी आई है। आरबीआई की स्टेबल मॉनेटरी पॉलिसी के चलते हाउसिंग लोन की दरें अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं। ऐसे में सरकार बजट में इस सेक्टर को किसी भी तरह का इन्सेंटिव देती है तो इससे जुड़े अन्य उद्योगों को भी फायदा होगा।
बजट में सरकार का ज्यादा जोर देश के करदाताओं पर रहने की संभावना है क्योंकि पिछले कई बजट में करदाताओं के लिए कोई नई घोषणा नहीं की गई है। इस बार के बजट में इंश्योरेंस/मेडिक्लेम प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी कम करने की उम्मीद भी करदाताओं को है।
घरेलू आटोमोबाइल सेक्टर पिछले दो दशकों के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश के कुल जीडीपी में आटोमोबाइल सेक्टर का योगदान 7.5 फीसदी है। आटोमोबाइल सेक्टर की ओर से एक समान टैक्स लगाने की व्यवस्था भी लागू करने की मांग हो रही है। उम्मीद है कि ऑटोमोबाइल उद्योग के नियमों का डिजिटलीकरण जारी रहेगा। सरकार ईवी मांग को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश करेगी।
स्टार्टअप गतिविधियों और सरकार के राहत पैकेज से भारत में ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने, कर संरचना को सरल बनाने और लैंड-लेबर लॉ में सुधार से ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्र सरकार ने पिछले बजट में कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने के लिए कई प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की थी। इस बार भी देश की अर्थव्यस्था पर ओमिक्रॉन वैरिएंट का साया है। ऐसे में उम्मीद है कि इस बार भी कुछ बड़े प्रोत्साहन पैकेजों की घोषणा की जाए।
ज्वेलरी सेक्टर ने भी अपनी मांग सामने रखी हैं। इनकम टैक्स के 3 स्लैब रेट 10% /15%/20% से ऊपर नहीं होने चाहिए। सोना, चांदी, हीरा की खरीद बिक्री के लाभ पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 20 फीसदी से घटाकर 10 प्रतिश व शोर्ट टर्म 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी होना चाहिए। वहीं क्रेडिट कार्ड पर कोई बैंक चार्ज नहीं लगना चाहिए, जीएसटी सेल्स टैक्स की तरह 1 फीसदी होना चाहिए और सोना चांदी के आयात पर कस्टम ड्यूटी 4 फीसदी होनी चाहिए। इससे इस क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी।
सरकार बजट 2022 में अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत पहली बार घर खरीदने वालों को ब्याज पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपए तक की अतिरिक्त छूट को एक साल के लिए बढ़ा सकती है। बता दें, सेक्शन 80ईईए के तहत 45 लाख रुपए तक के मकान पर 1.5 लाख रुपए की होम लोन के ब्याज चुकाने पर अतिरिक्त छूट मिलती है।
कोरोना काल में फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि कुल फंड आवंटन में बढ़ोतरी की जाएगी। व्यापार को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल करने की मांग भी उठाई गई है। इस बार विशेषज्ञ कोविड-19 में बढ़ती असमानता को दूर करने के लिए वेल्थ टैक्स और विरासत कर को फिर से शुरू किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं। बजट को स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, इस प्रकार भारत के ग्रामीण हिस्सों में त्वरित निदान केंद्रों तक पहुंच को सक्षम करना चाहिए।
हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र पर कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर हुआ है। इस महामारी के प्रकोप का खामियाजा भुगत रहे हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को बजट 2022 में एक बहाल जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट देख रहा है। वहीं, सेक्टर रेस्टोरेंट व्यवसाय को एक और लॉकडाउन से बचाने के लिए एक सिस्टम चाहता है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के किसानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को अभी 6 हजार रुपए सालाना रकम दी जाती है। अब इस राशि को बढ़ाकर 8 हजार किया जा सकता है।
सरकार आगामी आम बजट में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री को कर के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है। क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद थी, हालांकि इसे पेश नहीं किया गया. अब उम्मीद है कि सरकार बजट सत्र में एक विधेयक पेश कर सकती है। सरकार इस बजट में एक निश्चित सीमा से ऊपर क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री और खरीद पर टीडीएस / टीसीएस लगाने पर विचार कर सकती है।
विमानन उद्योग कम से कम 2 वर्षों के लिए कर छूट और न्यूनतम वैकल्पिक कर के निलंबन की उम्मीद कर रहा है। इसके अलावा, महामारी प्रभावित एयरलाइंस भी न्यूनतम वैकल्पिक कर को निलंबित करना चाहती हैं।
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