मंगलवार को रात एक बजे तीनों अधिकारी नेपानगर पहुंचे। पहले नेपा थाने में जाकर उन्होंने घटनाक्रम की जानकारी जुटाई। एसडीएम विशा माधवानी, एसडीओपी एसआर सेंगर, एसडीओ भूपेशकुमार शुक्ला से चर्चा कर मामला जाना। एसडीओ शुक्ला ने वन भूमि पर आए दिन हो रहे विवाद की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों यहां अतिक्रमण के प्रयास हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कर जंगल साफ कर दिया। यहां पर फसल रोपकर अतिक्रमण का प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों ने रातभर मौखिक जानकारी लेकर घटनाक्रम पर चर्चा की। मामले को लेकर तीनों अधिकारियों से प्रतिवेदन बनवाया। बुधवार सुबह 5 बजे अधिकारी कक्ष क्रमांक 246 में पहुंचे। यहां वन भूमि पर कार्रवाई देखी। इसके बाद वे बुरहानपुर लौट गए।
कार्रवाई को लेकर वन विभाग की ओर से अतिक्रमण करने वाले 26 लोगों नामजद शिकायत की। कार्रवाई में एसडीओ शुक्लाके साथ तीन कर्मचारी भी घायल हुए। पुलिस ने आईपीसी की धारा 353, 147, 148, 149, 332, 427 के तहत नामजद प्रकरण दर्ज किया। वहीं आदिवासी एकता संगठन की ओर से प्रशासनिक अधिकारियों पर गोली चलाकर आदिवासियों को घायल करने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से गोली चलाई। चार आदिवासी घायल हुए। पुलिस ने आदिवासियों की मेडिकल जांच कराने के साथ ही आइपीसी की धारा 336-337 के तहत मामला कायम कर जांच शुरू की है।
सुबह करीब 10 बजे वन अमला अतिक्रमित क्षेत्र बदनापुर बीट में पहुचा। लंबे समय बाद प्रशासन ने यहां बड़ी कार्रवाई करनी तय की थी। करीब 9 जेसीबी से 150 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खंती (गड्डे) खोदे जाना थे। दो घंटे तक कार्रवाई ठीक चली। 60 हेक्टेयर की वन भूमि पर खंती कराई गई। कुछ देर बाद अचानक लोगों ने पथराव करते हुए अधिकारियों की ओर आने लगे। उन्होंने गोफन से पत्थर मारने शुरू कर दिए। इनका सामना करने के बजाए कर्मचारी वापस भागने लगे। एक के बाद एक सभी मौके से भाग खड़े हुए। करीब तीन किमी दूर जंलग में कार्रवाई चल रहीे थी। अधिकारियों की समझाइश के बाद भी कर्मचारी नहीं रुके। अंत में अधिकारियों को भी जान बचाकर भागना पड़ा।
एक तरफ वन, राजस्व, नगर सेना, पुलिस के कुल 300 से अधिक अफसरकर्मी थे तो दूसरी ओर 100 लोग। अफसर सभी संसाधनों से लेस थे। उनके पास अश्रु गेस के गोले, बंदूक, बॉडी गार्ड, डंडे सहित अन्य सभी आवश्यक सामग्री थी। लेकिन इसके बाद भी उन्हे खदेड़ दिया। गोफन से पत्थर शुरू होते ही सभी ऐसा भागने लगे जैसे बम फेंके जा रहे हो। एसडीओपी, एसडीएम, एसडीओ, तहसीलदार सहित अन्य सभी अधिकारी कर्मचारियों को रोकते रहे। लेकिन कोई नहीं रुका। इस बीच कर्मचारियों को रोकने में एसडीओ शुक्ला गिर पड़े। वे बुरी तरह जमी हो गए। इस दौरान करीब 3 जेसीबी भी बाहर निकाल ली गई। लेकिन शेष 6 जेसीबी अंदर ही फंस गई। जहां उनके काच फोड़े गए। चालकों के साथ मारपीट की।
जेसीबी लेने दोबारा अधिकारियों ने जंगल में जाने की हिमत जुटाई, लेकिन नवाड क्षेत्र की शुरुवात में ही दोबारा उन्हें आदिवासियो ने घेर लिया। अतिक्रमणकरियों ने आदिवासी एकता जिंदा बाद, आमु आखा एक छे, आवाज दो हम एक है, जंगल जमीन कोन री छे आमरी छे आमरी छे के नारे लगाने शुरू कर दिए। अधिकािरयों ने किसी तरह उन्हें अंदर जाने के लिए माना लिया। उन्होंने कहा कि जेसीबी लेकर जल्दी वापस जाओ। हमारी भूमि पर गड्डे नहीं होना चाहिए। इस दौरान तहसीलदार सुंदरलाल ठाकुर ने कहा कि किसी भी पात्र का नुकसान नहीं किया जाएगा। लेकिन अपात्र को हम वन भूमि पर अवैध कब्जा नहीं जमाने देंगे। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के आदेशानुसार कुछ दिनों में आपके द्वारा चयनित प्रतिनिधि के साथ स्थानीय प्रशासन की बैठक होगी। जिसमें वन, राजस्व, पुलिस के साथ अन्य विभाग के अधिकारी भी रहेंगे। इनकी मौजूदगी में आपको जो सबुत दिखाने हो वो दिखाना। चयनित समिति यदि आपको पात्र मानती है तो आपको भूमि से कोई नहीं हटाएगा। लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो सभी को वन भूमि खाली करनी होगी। इस बीच एक महिला ने तहसीलदार के साथ बदसलूकी की। महिला पुलिस ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया।
आदिवासी संगठन के नेता नीतिन ने कहा कि वन विभाग द्वारा अपनी पुरानी खेत पर काम कर रहे ग्रामीण आदिवासी महिलाओं एवं पुरुषों पर फायरिंग किए। जिसमें 4 लोगों को चोट आई हैं। खेती करते आ रहे आदिवासियों द्वारा वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत कई बार दावे जमा किए गए हैं लेकिन उन पर आज तक वन अधिकार अधिनियमों के अनुसार कार्यवाही नहीं हुई है। कानून की धारा 4-5 के अनुसार जब तक कि दावेदारों के द्वारा जमा दावों की नियमित रूप से कार्यवाही नहीं होती, ऐसे दावेदारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए। इसके बावजूद खेती पर लगे आदिवासियों पर आए दिन हमले चालू है एवं फसलों को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे है, जिनको लोग बड़ी मुश्किल से रोके है।