प्राइवेट बसों को परमिट चौराहे का मिला हुआ है। रोडवेज की बसें भी चौराहे से ही निकल रही है। जब से कोटा दोसा मेगा स्टेट हाइवे का निर्माण हुआ तब से यह समस्या उत्पन्न हुई, जो अब तक चल रही है। यही हाल शहर से बूंदी की यातायात व्यवस्था का हो रहा है।
बौने साबित हुए प्रयास
उपखंड मुख्यालय पर स्थित बस स्टैण्ड पर बसों को पहुंचाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। जनप्रतिनिधियों ने समय समय पर बसों को आबादी तक लाने की मांग उठाई, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हो पाया।तत्कालीन विधायक स्वर्गीय मांगीलाल मेघवाल ने तो परिवहन मंत्री से बसों को बस स्टैंड तक पहुंचाने के लिए आदेश करवा दिया था, लेकिन उन आदेशों को बसों के ड्राइवर कंडक्टर ने नहीं माना। परिवहन राज्यमंत्री बाबूलाल वर्मा के कार्यकाल में भी चालक परिचालकों को शहरों में होकर बसे निकालने के निर्देश दिए, लेकिन उन आदेशों को भी नजर अंदाज कर दिया। पुलिस ने भी सहकारी चीनी मिल चौराहे पर यातायात पुलिस के जवान खड़े कर बसों को बस स्टैंड तक पहुंचाने का अभियान चलाया, लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिल पाई।
कापरेन. शहर के बस स्टैंड पर परिवहन निगम की बसों का संचालन नही होने से लम्बी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्री स्थानीय बस स्टैण्ड पर रोडवेज बसों का इंतजार करते रहते हैं और बसे नहीं आने पर आधा किमी दूर बायपास तिराहे पर जाकर इंतजार करते हैं। शहर में तेजाजी मेला ग्राउंड पर बने बस स्टैण्ड पर खस्ताहाल निजी बसों का आवागमन रहता है जो कापरेन से कोटा और लाखेरी के लिए उपलब्ध होती है। अधिक दूरी की यात्रा करने के लिए परिवहन निगम की बसों का आवागमन नही होने से यात्री मेगा हाइवे बायपास तिराहे पर कई देर तक खड़े रहते हैं और रोडवेज बस के आने का इंतजार करते हैं।
शहरवासियों का कहना है कि कई बार तो बस बिना रुके ही निकल जाती है और ऐसे में रोडवेज बसों से यात्रा करने के लिए निजी बसों से कोटा अथवा लाखेरी जाकर बैठना पड़ता है। निजी बसों में क्षमता से अधिक यात्री सवार रहते हैं और खस्ताहाल हालत में होने से यात्रियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शहरवासियों का कहना है कि शहर में कोटा ,अलवर आदि बड़े शहरों की ओर जाने वाली लम्बी दूरी की रोडवेज बसे गुजरती है। लेकिन बसों के ठहरने का कोई निर्धारित स्थान नही है।
जिससे यात्री मेगा हाइवे बायपास तिराहे कोटा रोड, बोरदा माल तिराहे, और लाखरी तिराहे पर पर खड़े रहते हैं। वही सुबह व शाम के समय रोडवेज बसें शहर के अंदर से भी गुजरती है जो यात्रियों के खड़े मिलने पर ही शक्ति चौराहे पर ठहरती है। रोडवेज बसों के आवागमन की निराधार समय सारणी और बस स्टैंड पर खड़े नहीं होने से यात्रियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पालिका उपाध्यक्ष हेमंत पंचोली ने बताया कि रोडवेज बसों के बस स्टैण्ड पर ठहराव को लेकर कई बार निगम के उच्च अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया लेकिन कुछ दिन ठहराव होने के बाद फिर से बसे सीधी शहर के बाहर मेगा हाइवे से गुजरने लगी है।
हिण्डोली. कस्बे के गौण यार्ड मंडी के पास तत्कालीन ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रुपए की लागत से नए बस स्टैण्ड का निर्माण करवाया था। यहां पर यात्रियों के बैठने के लिए टीन चार दीवारी, पानी की टंकी, बोरिंग सुलभ कॉम्प्लैक्स सामुदायिक भवन का निर्माण करवाया गया। यहां पर बस स्टैंड संचालित होने की उम्मीद थी, लेकिन ग्राम पंचायत व नगर पालिका दोनों में ध्यान नहीं देने से एक दशक से करीब 50 लाख रुपए की लागत से बने बस स्टैण्ड का संचालन नहीं हुआ। यहां पर यह बस स्टैंड संचालित होने के बाद यात्रियों को ठहरने और बैठने की सुविधा मिल सकती है।अधिकांश यात्री गंतव्य तक जाने के लिए सीधे बायपास पर पहुंच रहे हैं, जहां पर भी कई चालक बसों को नहीं रोकते हैं।
जानकारी अनुसार आजादी के बाद से कस्बे में पुराना अस्थाई बस स्टैंड बना हुआ था। जहां पर राजस्थान रोडवेज की अधिकांश बसों का ठहराव था। बसें यात्रियों को उतारती व चढ़ाती थी, लेकिन एक दशक पूर्व बायपास निर्माण होने के बाद चालक व परिचालक लापरवाही बरतकर बसों को सीधे बायपास से निकाल रहे हैं। यहां पर राजस्थान रोडवेज निगम के अध्यक्ष द्वारा सभी रोडवेज प्रबंधन को सख्त निर्देश दे रखे हैं कि जो भी बस हिण्डोली से गुजरे वह बस स्टैण्ड से होती हुई निकले, लेकिन इस आदेश की भी धज्जियां उडा रखी है। न्यायालय ने भी आदेश जारी कर रखे हैं।
न छाया, पानी, नहीं बैठने की सुविधा,
हिण्डोली नगर पालिका होते हुए भी यहां पर बस स्टैण्ड पर यात्रियों के लिए छाया- पानी बैठने की सुविधा नहीं है। सर्दी गर्मी बरसात तीनों मौसम में यात्रियों को बसों के इंतजार के लिए खड़े रहना पड़ता है। कई बार बसें लेट होने से इंतजार में नीचे ही बैठ जाते हैं।