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बूंदी

अंकुरित पौध सूखने लगी, लाखों रुपए खर्च कर बोया था बीज

आधा आषाढ़ गुजरने के बाद क्षेत्र में इंद्रदेव की मेहरबानी नहीं हो रही, इसके कारण सब्जियों की पौध क्यारियों में ही सूखने लग गई।

बूंदीJul 14, 2021 / 11:03 pm

पंकज जोशी

अंकुरित पौध सूखने लगी, लाखों रुपए खर्च कर बोया था बीज

अंकुरित पौध सूखने लगी, लाखों रुपए खर्च कर बोया था बीज

अंकुरित पौध सूखने लगी, लाखों रुपए खर्च कर बोया था बीज
किसानों को क्षेत्र में अच्छी बारिश का इंतजार
गोठड़ा. आधा आषाढ़ गुजरने के बाद क्षेत्र में इंद्रदेव की मेहरबानी नहीं हो रही, इसके कारण सब्जियों की पौध क्यारियों में ही सूखने लग गई।
क्षेत्र के धोवड़ा, मेंडी, पायरा, लुहारिया, सरसोद, गोठड़ा, रोणिजा, कुम्हरला बालाजी, छाबडिय़ों का नयागांव, रामनिवास, अमरपुरा सहित दर्जनों गांवों में किसान जायद फसल के रूप में सब्जियों के बीज क्यारियों में तैयार कर उन्हें खेतों में लगाने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे है, लेकिन मानसून की बेरुखी के चलते सैकड़ों किसान परेशान हो रहे है।
किसानों ने बताया कि समय रहते बारिश नहीं आई तो सब्जियों के अंकुरित पौधे क्यारियों में ही सूख जाएंगे। जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जल स्तर गिरा, सूखने लगे नलकूप
क्षेत्र के गांवों में लगातार जलस्तर भी गहराता जा रहा है। कई स्थानों पर तो मवेशियों को पानी पीलाने व पीने के पानी का इंतजाम हो पा रहा है। जलस्तर 200 से ढाई सौ फीट नीचे चला गया है। जायद, खरीफ की फसलें बारिश पर ही निर्भर रहती है। जिसके कारण किसान कुओं एवं ट्यूबेल से सब्जियों की फसल की सिंचाई करते है, तो 2 से 3 दिन में ही खेत तेज धूप एवं गर्मी के कारण सूख जाता है और उन्हें वापस सिंचाई करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में किसान अब करें तो क्या करें।
सब्जियों का महंगा बीज बोया
किसानों ने इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद को लेकर अपने खेतों में बाजार से महंगे महंगे दामों पर हाइब्रिड सब्जियों के बीज खरीदकर लाए और उन्हें उपचारित कर क्यारियों में बोया। बारिश की बेरुखी के चलते अब किसानों को कुओं एवं नलकूप का सहारा लेकर बीज को नष्ट होने से बचाने का जतन कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि गोभी का बीज एक बीघा के लिए 2 से 4 हजार का पड़ता है। टमाटर का बीज 15 सौ से 2 हजार के बीच, मिर्च का बीज दो हजार से 25 सौ रुपए प्रति बीघा का आता है।
25 फीसदी से अधिक पौधे हुए खराब
मानसून की बेरुखी के चलते एवं समय पर बारिश नहीं आई। जिसके कारण जिन किसानों ने क्यारियों में टमाटर, पत्ता गोभी, फूलगोभी, बैंगन एवं मिर्च आदि के बीज की बुवाई की थी। उनमें से करीब 25 फीसदी बीज बारिश की देरी के चलते नष्ट होने के कगार पर पहुंच गए। यहां बड़ी संख्या में किसानों ने मक्का की फसल भी की जो भी सूखने लग गई।

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