राज योग : राजयोग में किया गया शुभ कार्य मंगलकारी रहता है। इस विशेष योग में रक्षाबंधन करना सभी भाई-बहनों के लिए सिद्धदायक रहेगा।
शोभन योग : शोभन योग को शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए अति उत्तम कहा गया है। इस योग में शुरू की गई यात्रा अत्यंत सुखद व मंगलकारी होती है।
धनिष्ठा नक्षत्र : धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। मान्यता है कि धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाला भाई अपने बहन के प्रति विशेष लगाव रखता है।
शुभता की होगी वृद्धि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां बांध अपना स्नेह, आशीर्वाद और रक्षा की कामना करती हैं। ऐसे तो रक्षासूत्र के सभी रंग अच्छे होते हैं, यदि राशि के अनुसार रंग की राखी बांधी जाए तो वह भाई के लिए विशेष लाभदायी होता है। राशि के अनुरूप रंग की बांधी जाए तो इससे भाई और बहन के लिए शुभ रहता है। इसलिए बहनों को राशि के हिसाब से रंग का चयन कर भाइयों की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए। राखी के रंगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जब भी कोई कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उस कार्य की शुभता में वृद्धि होती है और निश्चिततौर पर फल मिलता है।
राशि के अनुसार राखी का रंग
मेष – लाल रंग की राखी बांधे
वृषभ – क्रीम रंग की राखी
मिथुन – हरे रंग की राखी
कर्क – क्रीम या सफेद रंग की राखी
सिंह – नारंगी रंग की राखी
कन्या – हरे रंग की राखी
तुला – क्रीम रंग की राखी
वृश्चिक – लाल रंग की राखी
धनु – सुनहरे पीले रंग की राखी
मकर – नीले रंग की राखी
कुंभ – नीले रंग की राखी
मीन – सुनहरे पीले रंग की राखी
राखी बांधने के मुहूर्त
सुबह 7.41 से दोपहर 12.30 बजे तक चर, लाभ, अमृत का चौघडिय़ा रहेगा। साथ ही अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.4 से 12.55 बजे तक होगा। दोपहर 2.6 से अपराह्न 3.42 बजे शुभ का चौघडिय़ा। इसके अलावा प्रदोष काल में शाम 7 से 9 बजे राखी बांधी जा सकती है।