आपको बता दें कि योगेश वर्मा अप्रैल 2018 में भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में मुख्य आरोपी है। दरअसल 2 अप्रैल को एस-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर हुए बवाल में कुछ लोगों की जान चली गई थी। मेरठ में भी काफी पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस मामले में हस्तिनापुर के पूर्व बसपा के विधायक योगेश वर्मा पर भी आरोप लगे थे। उन पर रासुका लगाकर उन्हें जेल भेज दिया गया था। जिसके बाद बसपा के बाहुबली नेता ने जेल जाते समय ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। हालाकि पिछले साल सितंबर में योगेश वर्मा पर से रासुका हटा ली गई और वह जेल से रिहा हो गए। फिलहाल उन पर अभी 13 मुकदमे चल रहे हैं।
गौरतलब हो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश गठबंधन में बुलंदशहर की सीट बसपा के खाते में आई है। जिसके बाद यहां से बसपा ने वीरेंद्र शिरीष को काफी पहले लोकसभा प्रभारी बनाया था। लेकिन बाद में उनका टिकट कट गया और अब योगेश वर्मा के नाम पर मुहर लगा दी गई है। बता दें कि योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा मेरठ की मेयर है। दलितों में उनकी अच्छी पकड़ है। इस वजह से उनका दावा मजबूत माना जा रहा है।