scriptग्राउंड रिपोर्ट: बुलंदशहर हिंसा के बाद पुलिस के डर गांवों में बचे केवल महिला, बच्चे और बुजुर्ग | women, children and elderly left in village after Bulandshahr violence | Patrika News
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ग्राउंड रिपोर्ट: बुलंदशहर हिंसा के बाद पुलिस के डर गांवों में बचे केवल महिला, बच्चे और बुजुर्ग

बुलंदशहर हिंसा के बाद पुलिस के तांडव से आज भी खौफजदां हैं ग्रामीण, हजारों युवाओं ने छोड़ा गांव, घरों पर लटके ताले

बुलंदशहरDec 11, 2018 / 01:12 pm

lokesh verma

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ग्राउंड रिपोर्ट: बुलंदशहर हिंसा के बाद पुलिस के डर गांवों में बचे केवल महिला, बच्चे और बुजुर्ग

वरुण शर्मा/बुलंदशहर. स्याना कोतवाली क्षेत्र के चिंगरावटी चौकी पर हुई हिंसा के बाद अभी तक भी वहां के लोगों में दहशत का माहौल है। उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर को हुए बवाल में इस्पेक्टर सुबोध समेत एक नवयुवक सुमित की मौत हो गई थी। इस दौरान जिन गांव के लोगों ने प्रदर्शन किया था। अब उन गांवों में सन्नाटा पसर गया है। गांव में अब केवल महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ही नजर आ रहे हैं। पत्रिका संवाददाता ने इन गांवों का दौरा कर यहां का हाल जाना तो काफी चौंकाने वाली बाते सामने आई। इन गांवों के ग्रामीणों काफी डरे हुए हैं। पुलिस के भय से गांवों के अधिकतर युवा घर छोड़ चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव में रह रहे होते तो पुलिस चौकी पर हुई घटना की आंच में उनको भी झुलसना पड़ जाता। गांव के बुजुर्ग और महिलाएं बताती हैं कि इस हिंसा ने उनके जीवन की रफ्तार धीमी कर दी है। उनका कहना है कि पुलिस को अगर गांव में कोई भी युवा मिल जाएगा तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। भले ही उसका इस घटना से कोई लेना-देना हो या न हो।
पत्रिका पड़ताल के दौरान सामने अाया कि चिंगरावटी, नया बांस और महाव गांव के नवजवान गांव से पलायन कर चुके हैं। इसके चलमे कुछ घरों में ताले जड़े हुए हैं। यहां महिलाओं ने दबी जुबान बताया कि कुछ लोग अपनी रिश्तेदारी में रह रहे हैं तो कुछ लोग खेतों में रात गुजार रहे हैं। इससे किसानों को खेती के साथ छात्रों की पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है। जहां गांवों के नुक्कड़ और चौराहों पर लोगों की चहल-पहल रहती थी, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां बता दें कि नया बांस गांव के रहने वाले योगेश राज घर पुलिस ने जमकर तोड़फोड़ की थी। आज भी उनके घर में सामान उसी तरह टूटा पड़ा है। वहीं स्याना निवासी शिखर अग्रवाल के घर भी ड्रेसिंग टेबल, स्टेबलाइजर और टीवी इधर-उधर बिखरे नजर आए। इसी तरह महाव निवासी जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी के घर भी पुलिस के तांडव के निशां मौजूद नजर आए।
स्याना शिखर अग्रवाल के घर पुलिस द्वारा की गई तोड़फोड़।
पुलिस के उपद्रव से सहमा है शिखर का परिवार

जब पत्रिका टीम हिंसा के आरोपी शिखर अग्रवाल के घर पहुंची तो वहां का नजारा पुलिस के उपद्रव का नजारा बयां कर रहा था। शिखर अग्रवाल के घर में एसी अौर स्टेबलाइज टूटा हुआ पड़ा था। वहीं हमने देखा कि दो ड्रेसिंग टेबल और एलईडी भी टूटी हुई थीं। घर के बर्तन जहां-तहां पड़े थे। शिखर अग्रवाल के ताऊ ने बताया कि पुलिस 3 दिसंबर की रात यहां पर आई थी। पहले उसने शिखर के बारे में पूछताछ की। इसके बाद घर में तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी। पुलिस के तांडव से पूरा परिवार डरा हुआ है। बता दें कि इस दौरान हमें यहां भाजपा के नेता भी नजर आए जो घर का जायजा ले रहे थे। जब हमने उनसे बात की तो वे इस मामले में अपना ही राग अलापते नजर आए। इस दौरान पूर्व विधायक मुंशीलाल गौतम ने बताया कि हम यहां पर पदयात्रा के तहत आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां 28 मकान बनाए हैं, हम उनका सर्वे कर रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह घटना निंदनीय है और पुलिस इसकी जांच कर रही है।
चिंगरावटी गांव में घरों पर लगे ताले।
12 सौ युवाओं ने छोड़ा चिंगरावटी गांव

जब हम बुलंदशहर के चिंगरावटी गांव पहुंचे तो यहां के निवासी अनिल कुमार ने बताया कि गांव में सिर्फ 15 साल से छोटे बच्चे ही बचे हैं। उन्होंने बताया कि गांव में हर तरफ पुलिस का खौफ है। इसके चलते नौजवान छात्र गांव से पलायन कर चुके हैं। इससे उनकी पढ़ाई भी बाधित हो रही है, जिनके बच्चों की परीक्षा है, वह भी घर नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां लगभग दो हजार से ज्यादा लोग रहते थे, लेकिन करीब 12 सौ लोग गांव छोड़ जहां-तहां रहने को मजबूर हैं। वहीं गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने बताया कि पुलिस लगातार दबिश दे रही है, जिससे लोग डरे हुए हैं। दरअसल पुलिस को तो युवा ही नहीं हाथ लग पा रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों में फिक्र हो रही है कि वे पुलिस के हाथ लग गए तो पता नहीं पुलिस उनके साथ कैसा व्यवहार करेगी। फिलहाल गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। जहां हमेशा रौनक रहती थी, वहां आज कुछ महिलाएं ही नजर आ रही हैं। इसके बाद टीम पत्रिका ने सुमित के घर का रुख किया। यहां हमें सुमित के पिता अमरजीत सिंह मिले। जब हमने उनसे बात की तो बेटे की मौत से दुखी पिता ने आरोप लगाया कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने ही मेरे बेटे की हत्या की थी। मैंने इसकी तहरीर पुलिस को दी थी , जिसे बदलकर पुलिस ने अपने आप रिपोर्ट लिख ली। मैं पुलिस की रिपोर्ट से सहमत नहीं हूं। हमारी मांगें भी सरकार ने पूरी नहीं की हैं।
महाव गांव में जीतू फौजी के घर का नजारा।
महाव के ग्रामीणों ने परिवार समेत किया पलायन, घरों में लटके ताले

इसके बाद हमने स्याना के महाव गांव का रुख किया। बता दें कि जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी इसी गांव का रहने वाला है। यहां के रहने वाले बुजुर्ग रामलाल ने बताया कि गांव में केवल बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे ही बचे हैं। गांव में जितने भी युवा नौजवान हैं, वह गांव छोड़कर इसलिए चले गए हैं, क्योंकि यहां रोजाना पुलिस आती है और दबिश देती है। हमारी खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इसके चलते पशुओं की देखरेख भी नहीं हो पा रही है। इससे हमारा काफी नुकसान भी हो रहा है। गांव के कई लोग तो परिवार समेत गांव छोड़ चुके हैं। इस कारण उनके घरों पर ताले लटके हुए हैं। वहीं गांव की महिला कमलेश ने बताया कि गांव में लगातार पुलिस आ रही है। बच्चे घर से बाहर हैं। हम क्या करें हमारे घर में 10 पशु हैं। हम उनका चारा कहां से लाएं। हम खेत खलिहान का काम करें या पशुओं का ध्यान रखें। वहीं जब हमने जीतू के घर का जायजा लिया तो वहां भी कुर्सी, ड्रेसिंग टेबल, फ्रिज, टीवी, वाॅशिंग मशीन, बर्तन, अौर खाट टूटे हुए इधर-उधर पड़े नजर आए। बता दें कि 3 दिसंबर की रात यहां भी पुलिस ने जमकर तोड़फोड़ की थी।
टीम पत्रिका को जानकारी देते महाव निवासी यासीन।
योगेश राज के गांव नया बांस में भी पसरा सन्नाटा

पत्रिका टीम ने कस्बा स्याना, चिंगरावटी और महाव के बाद नया बांस गांव का जायजा लिया। यहां बता दें कि बजरंग दल नेता योगेश राज नया बांस का ही रहने वाला है, जिसे चिंगरावटी में भड़की हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया गया है। जैसे ही हमने नया बांस में प्रवेश किया तो गांव में पूरी तरह सन्नाटा पसरा था। यहां भी कई घरों में ताले जड़े थे। बता दें कि योगेश राज घर पुलिस ने 3 दिसंबर की रात ही जमकर तोड़फोड़ की थी। आज भी उनके घर में सामान उसी तरह टूटा हुआ बिखरा पड़ा था। यहां के कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज होने के कारण यहां के युवा भी गांव छोड़ अपनी रिश्तेदारी या अन्य जगह चले गए हैं। गांव निवासी यासीन ने बताया कि रात में पुलिस लगातार दबिश दे रही है। इसलिए यहां के लोग काफी डरे सहमे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ हिंदू परिवार के लोग गांव से चले गए हैं। वहीं एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि कई लोगों का हिंसा से कुछ लेना-देना नहीं है, लेकिन फिर भी पुलिस ने उनके नाम एफआईआर में दर्ज कर लिए हैं।

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