scriptKalyan Singh Birthday: अयोध्‍या में विवादित ढांचा गिरते ही दे दिया था मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा | UP EX Cm Kalyan Singh Special Story On His Birthday on 5 january | Patrika News
बुलंदशहर

Kalyan Singh Birthday: अयोध्‍या में विवादित ढांचा गिरते ही दे दिया था मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा

Highlights

5 जनवरी को मनाया जा रहा है कल्‍याण सिंह का जन्‍मदिन
कल्‍याण सिंह क बेटे राजबीर सिंह डिबाई से रह चुके हैं विधायक
दो बार बन चुके हैं उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री

बुलंदशहरJan 05, 2020 / 02:28 pm

sharad asthana

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बुलंदशहर। उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्‍यमंत्री (CM) कल्‍याण सिंह (Kalyan Singh) का 5 जनवरी (January) को जन्‍मदिन मनाया जा रहा है। उनके जन्‍मदिन से पहले ही भाजपा विधायक (BJP MLA) देवेंद्र सिंह लोधी ने कल्‍याण सिंह को राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का चेयरमैन बनाने की मांग करते हुए उनको जन्‍मदिन का तोहफा देने की कोशिश की है। बुलंदशहर (Bulandshahr) समेत वेस्‍ट यूपी में कल्‍याण सिंह का दबदबा रहा है। उनके बेटे राजबीर सिंह बुलंदशहर की डिबाई विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं।
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यूपी में बने भाजपा के पहले मुख्‍यमंत्री

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (Aligarh) में 5 जनवरी 1932 को कल्‍याण सिंह का जन्‍म हुआ था। वह उत्‍तर प्रदेश में बनने वाले भाजपा के पहले मुख्‍यमंत्री हैं। 1991 में वह उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने। उनके कार्यकाल के दौरान 6 दिसंबर को विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। इसके बाद 6 दिसंबर 1992 की शाम को ही कल्‍याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्‍तीफा दे दिया था।
अतरौली सीट से रह चुके हैं 8 बार विधायक

कल्‍याण सिंह ने 30 साल की उम्र में अलीगढ़ की अतरौली से पहली बार चुनाव लड़ा था। जनसंघ के टिकट पर उस चुनाव में वह हार गए थे। इसके बाद हुए चुनाव में वह दोबारा मैदान में उतरे और जीत हासिल की। वह अतरौली से सीट से 8 बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1991 में भाजपा ने प्रदेश में 221 सीटें हासिल की थीं। इसके बाद कल्‍याण सीएम की कुर्सी पर बैठे। 6 दिसंबर 1992 को इस्‍तीफा देने के बाद उनकी छवि कट्टर हिंदूवादी नेता की हो गई थी। इसके बाद सितंबर 1997 से नवंबर 1999 तक वह दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1999 में दिसंबर में कल्‍याण सिंह भाजपा से अलग हो गए। 2004 में वह फिर भाजपा से जुड़े और बुलंदशहर से लोकसभा चुनाव लड़ा। उसमें उन्‍होंने जीत दर्ज की। अगले लोकसभा चुनाव से पहले वह फिर भाजपा से अलग हो गए और एटा से निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते।
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2012 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे उम्‍मीदवार

2012 के विधानसभा चुनाव में उन्‍होंने अपनी पार्टी के 200 उम्‍मीदवार मैदान में उतारें लेकिन उनको एक भी सीट नहीं मिली। उनके घर अतरौली से उनकी बहू प्रेमलता भी हार गईं। बुलंदशहर की डिबाई सीट से उनके बेटे राजू भैया भी चुनाव हार गए। 2013 आते-आते वह फिर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद 26 अगस्त 2014 को उनको राजस्थान का राज्‍यपाल बनाया गया। जनवरी 2015 में कल्‍याण सिंह को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।
बुलंदशहर में भी है आवास

कल्‍याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह एटा से सांसद हैं। उनके पोते संदीप सिंह अतरौली से भाजपा विधायक हैं। बुलंदशहर में काला आम चौराहे के पास पूव्र मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह का आवास है। वहां पर प्राइवेट गार्ड तैनात हैं। जब कभी कल्‍याण सिंह यहां पर आते हैं तो वह यहां रुकते हैं। फिलहाल वह इस समय लखनऊ में हैं। इस वजह से आवास अभी बंद पड़ा है।

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