पिछले कुछ वर्षों में पॉटरी उद्योग में आई तेज़ी से गिरावट की सबसे ज्यादा मार इन पॉटरी उद्योगों में काम करने वाले हजारों मजदूरों के परिवार पर पड़ी है। धीरे-धीरे बंद होते पॉटरी उद्योगों की वजह से यहां काम करने वाले मजदूरों पर हर समय दो जून की रोटी का संकट मंडराता नज़र आता है। इन पॉटरी उद्योगों में अपने हाथ की कला से देश विदेश में जादू बिखेर चुके कारीगर और मजदूरों की माने तो उद्यमी उन्हें उनकी मज़दूरी का समय से पैसा नहीं दे पाते हैं और इसके अलावा ये लोग कुछ और करना भी नहीं जानते हैं, जिसके चलते आज इन लोगों को दो जून की रोटी जुटाने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बाहर राज्यों से यहां मज़दूरी करने आए कुछ ठेकेदार और मजदूरों का तो यहां तक दावा है कि जो दिहाड़ी उन्हें 4 साल पहले मिलती थी। आज भी वो उतनी ही दिहाड़ी में गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि पॉटरी संचालक अब इन लोगों से इससे ज़्यादा दिहाड़ी पर काम कराने को तैयार नहीं हैं, इन लोगों का यहां तक कहना है कि इससे पहले की सरकारों के कार्यकाल में पॉटरी उद्योग का इतना बुरा हाल नहीं था, पहले पॉटरी उद्यमी इन्हें समय पर पैसा दे दिया करते थे लेकिन, अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।