बता दे कि कुछ सप्ताह पूर्व भी दोनों सब्जियों के दाम में आग लगी थी। लेकिन कुछ दिन बाद दाम में कमी आई और टमाटर 30-40 रुपये प्रति किग्रा तक पहुंच गया था। जबकि प्याज भी 30-40 रुपये किलो बिक रहा था। लेकिन पिछले एक सप्ताह में दोनों के दाम में काफी वृद्धि हुई है।
इन दोनों सब्जियों के लिए अधिकांशता दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस बार मानसून में अधिक बारिश और बाढ़ के कारण फसल प्रभावित हुई है। जिससे मंडी में टमाटर और प्याज की आवक कम हुई है। मांग के अनुरूप आवक कम होने से दोनों सब्जियों के दामों में तेजी आई है। आने वाले दिनों में सहालग शुरू होंगे तो ऐसे में भाव और ऊपर जाने की संभावना है।
जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह ने बताया कि हर साल प्याज और टमाटर की कीमतें जाड़े के मौसम में बढ़ने लगती हैं। वर्ष में करीब 15 लाख टन प्याज की खपत है। जबकि उत्पादन लगभग पांच लाख टन ही हो पाता है। फसल को सुरक्षित रखने के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। इसलिए मार्च से सितंबर तक यहां होने वाले प्याज की उपज की खपत लोगों की बीच होती है।
वहीं, अक्टूबर से फरवरी तक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात आदि राज्यों से प्याज मंगाना पड़ता है। उपलब्धता में देरी होने से इसके दाम बढ़ने लगते हैं। इस वर्ष से प्रदेश में करीब पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ प्याज की बुवाई शुरू हुई है, अगले वर्षों में इसके परिणाम दिखेंगे। टमाटर दिसंबर से जून तक उपलब्ध रहता है, बाकी महीनों में दूसरे राज्यों से मंगाना पड़ता है।