इस दौरान पोस्टमार्टम हाउस के स्टाफ ने लापरवाही करते हुए आतिफ के स्थान पर समद के शव का पोस्टमार्टम करते हुए आतिफ के परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद परिजनों ने समद के शव को देर रात करीब डेढ़ बजे दफना दिया। सुबह समद के परिजन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और समद के पोस्टमार्टम की मांग की। जब स्टाफ पोस्टमार्टम के लिए शव ले जा रहे थे तो परिजनों ने बच्चे का मुंह देखा और उसके कपड़े से पहचान की।
परिजनों ने शव समद का न होने की बात कहते हुए हंगामा कर दिया। मौके पर हंगामा बढ़ता देखकर स्टाफ ने आनन-फानन आतिफ के परिजनों को मौके पर बुलाया। इसके बाद उन्होंने बच्चे के शव की पहचान आतिफ के तौर पर की। पूरे मामले की पोल खुलते ही परिजनों और कर्मचारियों के होश उड़ गए। पोस्टमार्टम हाउस के स्टाफ की लापरवाही के कारण समद के परिजन अपने बच्चे को आखिरी बार नहीं देख सके। इसको लेकर परिजनों में काफी रोष है।
बताया जा रहा है कि समद अपने परिवार में अकेला था। उसके पिता की दो वर्ष पूर्व बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। ऐसे में समद की मां और अन्य परिजनों की बच्चे को आखिरी बार निहारने की उम्मीदों पर पानी फिर गया। दोनों पक्षों के लोगों के बीच सहमति बनने के बाद आतिफ के शव को भी नगर के कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
इस मामले में सीएमओ डॉ. विनय कुमार सिंह का कहना है कि पोस्टमार्टम करने के बाद टीम संबंधित पुलिस को शव सौंपती है। लापरवाही किस स्तर पर हुई है, इसकी जांच की जाएगी।