हास्य व्यंग्य के जाने माने कवि सुरेन्द्र शर्मा ने कहा- कोई फर्क नहीं पड़ता इस देश का राम है या रावण, देश की जनता तो बेचारी सीता है। कवियत्री अनामिका अंबर के प्रेम और वियोग की रचना से माहौल में रस इस तरह घोला- प्रेम के बदले मीरा को जहर चुनना नहीं, बिना खता अहिल्या को कोई दिखा नहीं। शायर मंजर भोपाली ने कहा – फिर से अपने भारत को गुलिस्तां बनाना है, फिर हमें अंधेरे में मसालें जलाना है, साथ-साथ जलना है, यह सबको बताना है। श्रोताओं ने इसे खूब पसंद किया। डॉ. कीर्ति काले ने कहा- कभी आंखों ही आंखों में कहा सब मान लेता है, बिना बोले ही दिल की बात अक्सर जान लेता है। अलीगढ़ के गीतकार विष्णु सक्सेना की कविता ने सबको झकझोर दिया- पहले मां-बाप को दौलत समझते थे हम, आज दौलत को मां-बाप समझ बैठे। संपत सरल ने जब कहा कि मोदी जी धुआंधार काम कर रहे हैं, यह बात अलग है कि काम में धार कम है और दुआ ज्यादा, तो दर्शकों ने जमकर ठहाके लगाए। कवि अजय अटल की इन पंक्तियों ने शायराना मूड कर दिया- नयन में सागर है वरना अस्त्र नमकीन नहीं होते।
क्या कहा कवियों ने
मशहूर कवयित्री अनामिका अंबर ने काव्य को लेकर बदायूं के श्रोताओं की तारीफ की। उन्होंने कह- बदायूं के श्रोताओं से उन्हें लगाव उसी दिन हो गया जब पहली बार पिछले साल स्मृति वंदन के कार्यक्रम में पहुंचीं थी। -हास्य कवि अनिल चौबे ने कहा कि वह लोगों को आनंदित रखना चाहते हैं। खासकर युवाओं को डिप्रेशन का शिकार नहीं होना चाहिए। मंजर भोपाली ने कहा- श्रोताओं को भी कवियों का हौसला बढ़ाने से पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वहीं व्यक्ति देश के लिए कुछ कर सकता है जिसके अंदर राष्ट्र प्रेम का जज्बा हो। कासगंज के कवि अजय अटल ने कहा- शैक्षिक संस्थानों में अभी ऐसा माहौल नहीं बन पाया है जो नई पौध को पनपने का मौका दे। शैक्षिक संस्थानों में काव्य से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।
इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चंद्रा, पूर्व राज्यमंत्री विमलकृष्ण अग्रवाल, सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव, भानुप्रकाश, अरविंद धवल, सोमेंद्र यादव, आशुतोष मौर्या, अमित यादव, राजन मेंदीरत्ता, किशनचंद्र शर्मा, आबिद रजा, फात्मा रजा, विधायक ओमकार सिंह यादव, बृजेश यादव, डॉ. यासीन उस्मानी और बलवीर सिंह यादव आदि मौजूद थे।