इस वीडियो में वीरदास द्वारा पढ़ी गई कविता का कुछ अंश इस प्रकार है।
मैं एक उस भारत से आता हूं, जहां बच्चे एक दूसरे का हाथ भी मास्क पहन कर पकड़ते हैं, लेकिन नेता बिना मास्क एक-दूसरे को गले लगाते हैं।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां एक्यूआई 9000 है लेकिन हम फिर भी अपनी छतों पर लेटकर रात में तारे देखते हैं।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां हम दिन में औरतों की पूजा करते हैं और रात में उनका गैंगरेप हो जाता है।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां हम ट्विटर पर बॉलीवुड को लेकर बंट जाते हैं, लेकिन थियेटर के अंधेरों में बॉलीवुड के कारण एक होते हैं।
मैं एक ऐसे भारत से आता हूं, जहां पत्रकारिता ख़त्म हो चुकी है, मर्द पत्रकार एक दूसरे की वाहवाही कर रहे हैं और महिला पत्रकार सड़कों पर लैपटॉप लिए बैठी हैं, सच्चाई बता रही हैं।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां हमारी हंसी की खिलखिलाहट हमारे घर की दीवारों के बाहर तक आप सुन सकते हैं और मैं उस भारत से भी आता हूं, जहां कॉमेडी क्लब की दीवारें तोड़ दी जाती हैं, जब उसके अंदर से हंसी की आवाज़ आती है।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां बड़ी आबादी 30 साल से कम उम्र की है लेकिन हम 75 साल के नेताओं के 150 साल पुराने आइडिया सुनना बंद नहीं करते।
मैं ऐसे भारत से आता हूं, जहां हमें पीएम से जुड़ी हर सूचना दी जाती है लेकिन हमें पीएमकेयर्स की कोई सूचना नहीं मिलती।
मैं ऐसे भारत से आता हूं, जहां औरतें साड़ी और स्नीकर पहनती हैं और इसके बाद भी उन्हें एक बुज़ुर्ग से सलाह लेनी पड़ती है, जिसने जीवन भर साड़ी नहीं पहनी।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां हम शाकाहारी होने में गर्व महसूस करते हैं लेकिन उन्हीं किसानों को कुचल देते हैं, जो ये सब्ज़ियां उगाते हैं।
मैं उस भारत से आता हूं, जहां सैनिकों को हम पूरा समर्थन देते हैं तब तक, जब तक उनकी पेंशन पर बात ना की जाए।
मैं उस भारत से आता हूं, जो चुप नहीं बैठेगा।
मैं उस भारत से आता हूं, जो बोलेगा भी नहीं।
मैं उस भारत से आता हूं जो मुझे हमारी बुराइयों पर बात करने के लिए कोसेगा।
मैं उस भारत से आता हूं, जो लोग अपनी कमियों पर खुल कर बात करते हैं।
मैं उस भारत से आता हूं, जो ये देखेगा और कहेगा ‘ये कॉमेडी नहीं है.. जोक कहां है?’
और मैं उस भारत से भी आता हूं जो ये देखेगा और जानेगा कि ये जोक ही है। बस फनी नहीं है।
वीडियो को लेकर अपने पोस्ट में वीरदास ने हाथ जोड़ते हुए लिखा- “मैंने उस वीडियो में दो भारत की बात की है जो एक दूसरे से काफी अलग हैं। जैसे कि किसी भी देश में धूप छांव होती है, अच्छाई और बुराई होती है। यहां सब कुछ साफ होता है।” उन्होंने अपने बयान में आगे कहा, “वहां देशभक्ति से भरी तालियों की गड़गड़ाहट थी। ये सब उस देश के लिए था जिसे हम सभी प्यार करते हैं। जिसपर विश्वास करते हैं और जिस पर हमें गर्व है।”