चिरंजीवी ने बताया कि लोग तब साउथ सिनेमा को किस नजर से देखते थे और अब वक्त कितना बदल गया है। यह घटना 1989 की है। चिरंजीवी ने बताया कि हिंदी सिनेमा को भारतीय फिल्मों का टाइटल दिया गया था और साउथ फिल्में सिर्फ रीजनल फिल्में थीं।
चिंरजीवी ने बताया कि 1989 में उन्हें दिल्ली बुलाया गया था क्योंकि उनकी फिल्म रुद्रवीणी को नरगिस दत्त पुरस्कार के लिए चुना गया था। पुरस्कार समारोह से एक दिन पहले सरकार ने सबको चाय पर बुलाया। चिरंजीवी बताते हैं कि उन्होंने वॉल देखी जहां इंडियन सिनेमा की हिस्ट्री के बारे में लिखा था। दीवार पर पृथ्वी राज कपूर और अमिताभ बच्चन की तस्वीरें लगी थीं और उनके बारे में थोड़ा-थोड़ा लिखा था। चिरंजीवा ने याद किया कि इस दौरान किस तरह से भारतीय सिनेमा का मतलब ही हिन्दी सिनेमा कर दिया गया। चिरंजीवी ने कहा, मुझे उम्मीद थी कि साउथ की फिल्मों में के बारे में भी कुछ होगा लेकिन वहां सिर्फ जयललिता, एमजीआर और प्रेम नजीर की एक तस्वीर ही थी। वे राज कुमार, विष्णुवर्धन, एनटी रामाराव, नागेश्वर राव, शिवाजी गणेशन जैसे दिग्गजों को नहीं पहचानते थे। उस पल मैं बहुत अपमानित महसूस कर रहा था। यह किसी के बेइज्जत कर देने जैसा था। उन्होंने हिंदी सिनेमा को भारतीय सिनेमा के रूप में चित्रित किया। जबकि अन्य फिल्मों को ‘क्षेत्रीय फिल्मों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था और उन्हें सम्मान नहीं दिया गया।
आपको बता दें चिरंजीवी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘आचार्य’ आने वाले शुक्रवार यानी 29 अप्रैल को रिलीज हो रही है। फिल्म में चिरंजीवी के साथ उनके बेटे राम चरण भी नजर आएंगे। वहीं फिल्म में काजल अग्रवाल और पूजा हेगड़े हीरोइन हैं। फिल्म को शिव कोराटाला ने बनाया है। फिल्म का प्री-रिलीज इवेंट शनिवार को हैदराबाद में किया गया है।