उन्होंने एक्स पर लिखा, “मुझे प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा कश्मीर पर बहस के लिए आमंत्रित किया गया था। मुझे यह विषय आपत्तिजनक, भारत विरोधी और कश्मीर विरोधी लगा। सैद्धांतिक रूप से, मैंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। पीएफए मैं अस्वीकार करता हूं।”
ऑक्सफोर्ड यूनियन के आमंत्रण पर दो टूक जवाब
कश्मीर की आजादी पर ऑक्सफोर्ड यूनियन की बहस को अस्वीकार करने के अपने फैसले पर फ़िल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री कहते हैं, “उन्होंने मुझे आमंत्रित किया और जब मैं सोच रहा था कि मुझे इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए या नहीं, तो मुझे कई फ़ॉलो-अप कॉल और ईमेल मिले। मुझे पता था कि अगर मैं इसमें शामिल नहीं हुआ तो यह बहस निरर्थक होगी… पाकिस्तानियों को भी इस बहस में आमंत्रित किया गया था। मुद्दा यह है कि जब पाकिस्तान का कश्मीर में कोई हित नहीं है, तो कोई उनकी बात क्यों सुने… भले ही हम आज़ाद हो गए हों, लेकिन उपनिवेशवादियों को अभी भी लगता है कि हम इस आजादी के लायक नहीं हैं। यही कारण है कि वे भारत को परेशान करने के लिए हर समय कहानियाँ गढ़ते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनियन की बहस फ़िल्म निर्माताओं और लेखकों के लिए ऑस्कर की तरह है। इससे ज़्यादा प्रतिष्ठित कुछ नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप असत्य के आगे झुक जाएँ… यह वैसा ही है जैसे मैं बीएचयू या जेएनयू में बैठकर कहूँ कि वेल्स को एक स्वतंत्र राज्य होना चाहिए। मुझे यह बहुत अपमानजनक लगा… मुझे इसके पीछे एक साज़िश और एक रणनीति का आभास हुआ, इसलिए मैंने मना कर दिया। 2022 में ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन ने मुझे एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया, जो मेरे वहाँ पहुँचने से कुछ घंटे पहले रद्द हो गया। इसका कारण यह था कि कुछ पाकिस्तानी लड़कों ने इसका विरोध किया था… मैं किसी के खिलाफ बहस करने से नहीं डरता लेकिन मैं भारत की छवि खराब करने की इस भयावह राजनीति के खिलाफ हूं।”