केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए रोक लगाने से इंकार किया है। न्यायमूर्ति एन नागेश और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की बेंच ने निर्माता की दलीलों को दर्ज किया। फिल्म सिर्फ सच्ची घटनाओं से प्रेरित बताई जा रही है, इसलिए अदालत ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।
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केरल हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म को लोगों के देखने के लिए प्रमाणित किया है। दिलचस्प बात यह है कि बेंच ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने से इनकार करने से पहले इसका ट्रेलर देखा और कहा कि इसमें किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।केरल हाईकोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं में से किसी ने भी फिल्म नहीं देखी है और निर्माताओं ने एक डिस्क्लेमर जोड़ा है कि फिल्म एक काल्पनिक वर्जन है। अदालत ने कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग केरल में प्रचलित सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित नहीं करेगी।
द केरल स्टोरी में कथित तौर पर केरल से लापता हुई 32 हजार हिंदू लड़कियों की कहानी दिखाई गई है, जिनका पहले ब्रेनवाश करके धर्म परिवर्तन किया गया और बाद में आतंकवादी संगठनों के हवाले कर दिया गया, जिसपर खूब बवाल मचा। इसके बाद हाईकोर्ट में 5 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।