Bollywood with Sunny Leone: आए दिन जानवरों के खिलाफ क्रूरता के मामले सामने आते रहते है। लेकिन बहुत से मामले ऐसे है, जिन्हें दर्ज नहीं किया जाता। इन सब के बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी ने अब मोर्चा खोल दिया है। Sunny Leone ने जानवरों के खिलाफ हो रही क्रूरता पर वर्तमान सरकार से कानून सख्त करने की मांग की है। एक्ट्रेस के समर्थन में बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम, जैकलीन फर्नांडीज और रवीना टंडन ने भी सुरक्षा के लिए सख्त कानून का आह्वान किया है।
पशुओं के साथ क्रूरता मानवता का भी अपमान है: सनी लियोनी
सनी लियोनी ने कहा, “सरकार कानून को और सख्त करे। हममें से हर कोई जानवरों के खिलाफ क्रूरता के मामले की रिपोर्ट पुलिस में कर सकता है। बच्चों को जानवरों के प्रति दयालु होना सिखाया जाना चाहिए, ताकि उनके वयस्क होने पर उनके मन में दया की भावना कायम रहे। साथ मिलकर, हम एक ऐसी दूनिया बना सकते है, जहां हर एक जानवर के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाएगा, जिसके वे हकदार है।”
बॉलीवुड हस्तियों ने की सख्त कानून की मांग
कुत्तों के खिलाफ क्रूरता के बढ़ते मामले को देखते हुए बॉलीवुड स्टार जॉन अब्राहम ने कहा कि जानवरों के प्रति हो रही क्रूरता से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है। इन पर कार्रवाई होनी जरूरी है। आइए इन सबके खिलाफ एकजुट से लड़ाई करें और पशु दुर्व्यवहार के हर मामले की रिपोर्ट करें। पशु अधिकारों की लड़ाई में संगठनों का साथ दे। इन अपराधों के लिए सख्त कानून लागू किया जाना चाहिए।
वहीं जैकलीन फर्नांडीज ने कहा, ‘जानवरों के लिए आवाज उठाकर बदलाव ला सकते है। सरकार को जानवरों की सुरक्षा के लिए कानून लाना चाहिए। साथ ही मजबूत भविष्य के लिए पशु संरक्षण को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। जहां हमारे समाज के सभी सदस्य, चाहे वे किसी भी प्रजाति के हों शांति से रह सके।
ये भी पढ़ें: PM Modi पायल कपाड़िया की उपलब्धि पर हुए गदगद, सोशल मीडिया पर शेयर किए जज्बात एक्ट्रेस रवीना टंडन ने बताया कि मानवता के नाते जानवरों के खिलाफ क्रूरता को लेकर हमें अपनी आंखें नहीं मूंदनी चाहिए। रिसर्च से पता चलता है कि जो लोग जानवरों पर अत्याचार करते हैं, वह भविष्य में अपराधी बनते है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि वक्त रहते ऐसे लोगों को कानून के तहत सजा दी जाए।
बता दें पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के अनुसार, भारत में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, पशु क्रूरता के लिए दंडों की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें पहली बार दोषी ठहराए गए अपराधियों के लिए अधिकतम 50 रुपये का जुर्माना भी शामिल है (हालांकि आईपीसी में कड़ी सजा का प्रावधान है)। हालांकि, इन कानूनी का कार्यान्वयन अलग-अलग होता है, क्योंकि कई मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते है।