मूडी फिल्मकार हैं शेखर कपूर
देव आनंद के भांजे शेखर कपूर मूडी फिल्मकार हैं। ‘मासूम’, ‘मि. इंडिया’ और ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी कामयाब फिल्में बनाने के बावजूद निर्माताओं में उनको लेकर धारणा रही कि जाने कब मूड उखड़ जाए और वह फिल्म अधूरी छोड़कर अलग हो जाएं। धर्मेंद्र भी उनके मूड के झटके झेल चुके हैं। अपने छोटे बेटे बॉबी देओल की पहली फिल्म ‘बरसात’ वह शेखर कपूर से बनवा रहे थे। कई दिनों की शूटिंग के बाद शेखर कपूर ‘बरसात’ को बरसने लायक बनाने से पहले अलग हो गए। बाद में निर्देशक राजकुमार संतोषी ने यह फिल्म बनाई।
‘जोशीले’ भी अधूरी छोड़ दी थी
इससे पहले ‘जोशीले’ के साथ यही हुआ। शेखर कपूर ने यह फिल्म ‘मासूम’ के बाद शुरू की थी। उस दौर के बड़े सितारों की भीड़ जुटाई गई- सनी देओल, अनिल कपूर, श्रीदेवी, मीनाक्षी शेषाद्रि। इरादा ‘शोले’ जैसी फिल्म बनाने का था। काफी समय तक लेह, लद्दाख में शूटिंग चलती रही। इससे पहले कि फिल्म मुकम्मल होती, शेखर कपूर का मूड बदल गया। शूटिंग थम गई। दो-ढाई साल तक थमी रही। आखिरकार निर्माता सिब्ते हसन रिजवी ने फिल्म पूरी की। घाटे का सौदा रही, क्योंकि इसकी घटनाओं में तालमेल नजर नहीं आया। कुछ हिस्सों में यह ‘मेरा गांव मेरा देश’ जैसी लगती है, तो कुछ में सी ग्रेड की ‘बिंदिया और बंदूक’ हो जाती है। इसमें कोई शक नहीं कि दूसरे फिल्मकारों से शेखर कपूर की फिल्में काफी अलग होती हैं। वह जो फिल्म शुरू करेंगे, वह पूरी हो जाएगी, इसको लेकर जरूर शक के बादल मंडराते रहते हैं।
‘पानी’ के लिए निर्माता की तलाश
दरअसल, ज्यादातर सृजनधर्मी फिल्मकार मूडी होते हैं। फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे धन कुबेरों के साथ इनकी पटरी कम बैठ पाती है, जो खर्च से पहले आमदनी का हिसाब-किताब पक्का कर लेना चाहते हैं। शेखर कपूर के लिए ऐसा निर्माता तलाशना आसान नहीं है, जो उन्हें फिल्म बनाने की पूरी आजादी देकर पूंजी निवेश करे। इसीलिए वह ‘पानी’ नहीं बना पा रहे हैं। उन्होंने 2010 के कान्स फिल्म समारोह में यह फिल्म बनाने का ऐलान किया था। पहले ऋतिक रोशन और बाद में सुशांत सिंह राजपूत को लेकर ‘पानी’ बनने की खबरें आईं, लेकिन 11 साल बाद भी यह फिल्म शुरू नहीं हो सकी है। दुष्यंत कुमार का शेर है- ‘यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियां/ मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा।’