आपको बता दें सुनील दत्त ने इस फिल्म को डायरेक्ट करने के साथ-साथ इस फिल्म को प्रोड्यूस भी किया और इसमें अभिनय भी किया। यानी इस फिल्म में केवल एक ही कलाकार था और वह थे- सुनील दत्त साहब। अक्सर जब भी कोई फिल्म की कहानी लिखी जाती है, तो उसमें कई कलाकारों को लिया जाता है। कहानी में किरदारों को फिट किया जाता है। आजकल जब मल्टी-स्टारर फिल्मों का दौर चल रहा है, 60 के दशक में सुनील दत्त ने फिल्म ‘यादें’ के जरिए इतना शानदार एक्सपेरिमेंट किया कि इस फिल्म को न केवल राष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिला, बल्कि इसने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर डाला।
लगभग 2 घंटे की फिल्म में दत्त पर्दे पर अकेले ही नज़र आते हैं। वे खुद ही खुद से बातें करते हैं, गुस्सा करते हैं, चिल्लाते हैं, तोड़-फोड़ करते हैं और फिर रोते हैं। दत्त ने इस फिल्म में म्यूजिक, साउंड इफेक्ट्स, वॉयसओवर, कार्टून्स, कैरीकेचर, शैडो आदि का बहुत ही उम्दा तरीके से इस्तेमाल किया किया है। इन सभी चीज़ों ने इस फिल्म का आर्टिस्टिक स्तर काफ़ी बढ़ा दिया था।
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अगर आर्ट के स्तर पर देखें, तो बेशक यह फिल्म अपने समय से बहुत आगे थी। एक फ़िल्मकार, निर्देशक और अभिनेता के रूप में दत्त की प्रतिभा को पूरी दुनिया के सामने एक मुक़ाम दिया। उन्होंने इस फिल्म को बनाने में बहुत बड़ा रिस्क लिया था, और क्रिटिक्स के मुताबिक दत्त की कोशिश बेकार नहीं गयी। बल्कि इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा में एक्सपेरिमेंट फिल्मों के लिए नए दरवाज़े खोले।
यह फिल्म दर्शकों के बीच ज़्यादा नहीं चली, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ख़ूब सराहना मिली। इस फिल्म को बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया। साल 1967 में फ़्रंकफ़र्ट फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म को सम्मान मिला और फिर पूरी फीचर फिल्म में सिर्फ़ एक ही अभिनेता को दिखाने का गिनीज़ रिकॉर्ड भी इस फिल्म के नाम है।