3 लाख का रूम, 600 साड़ियां, कुछ इस तरह 50 करोड़ के बजट में बनी थी फिल्म देवदास
संजय लीला भंसाली के करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाने वाली फिल्म ‘देवदास’ ने आज 19 साल पूरे कर लिए हैं। निर्देशक संजय लीला भंसाली को फिल्म जगत के उन लोगों में गिना जाता है जो अपनी फिल्मों पर पानी की तरह पैसा बहाते हैं।
बॉलीवुड फिल्म देवदास को रिलीज हुए 19 साल पूरे हो चुके हैं। फिल्म को बनाने में जितनी बेफिक्री से पैसा संजय लीला भंसाली ने लगाया था। कलाकारों ने भी उतनी की शिद्दत से अपने-अपने किरदारों को सांचे में ढालने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। फिर चाहे देवदास के किरदार में शाहरुख खान हो, या फिर चुन्नी बाबू की भूमिका में सबके चहेते जैक्री श्राफ देवदास मुखर्जी की मुहब्बत में दिन-रात जलती पार्वती उर्फ पारो की भूमिका में ऐश्वर्या राय ने ऐसा जादू ढहाया कि वह किरदार एक मिसाल बनकर उभरा। चंद्रमुखी का किरदार भला कौन भूल सकता है। माधुरी दीक्षित की दमदार अदाकारी पूरी फिल्म में सूत्रधार की तरह थी। उनके बिना तो मानो फिल्म ही फिकी रह जाती।
50 करोड़ रुपए का भारी बजट साल 2002 में 12 जुलाई को रिलीज हुई इस फिल्म पर 50 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की बात सामने आई है जो उस समय बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। बताया जाता है कि इसके लिए अंडरवर्ल्ड का पैसा लगा था। यही नहीं इन्हीं आरोपों के चलते 2001 में फिल्म की शूटिंग के दौरान निर्माता भरत शाह को गिरफ्तार भी कर लिया गया था। इसके बाद शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित स्टारर इस फिल्म का भविष्य खतरे में आ गया था। हालांकि जब ये फिल्म रिलीज हुई तो इसे दर्शकों का खूब प्यार मिला और आज ये फिल्म सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो चुकी है।
माधुरी दीक्षित ने पहना 16 किलो का लहंगा ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि इस फिल्म में माधुरी दीक्षित ने सबसे अधिक महंगे कपड़े पहने हैं। उन्होंने फिल्म में अबू जानी संदीप खोसला के डिजाइन किए हुए कपड़े पहने थे। उस समय उनके इन शानदार कपड़ों की कीमत लगभग 15 लाख रुपए की थी। माधुरी ने फिल्म में अपने गाने ‘काहे छेड़ छेड़ मोहे’ में 30 किलों का लहंगा पहना था। लेकिन उनका ये लहंगा इतना ज्यादा भारी था कि वो इसमें डांस नहीं कर पा रही थीं। बाद में संजय लीला भंसाली ने उनका लहंगा बदलवा कर उनके लिए 16 किलों का घाघरा बनवाया। माधुरी दीक्षित ने फिल्म में एक 10 किलो की भी पोशाक पहनी थी जिसको तैयार करने में तकरीबन 2 महीने का वक्त लगा।
पहले ही दिन बॉक्स-ऑफिस पर मचाया था धमाल संजय लीला भंसाली का इस फिल्म पर खर्चा करना उनके बहुत काम आया। क्योंकि जब साल 2002 में ये फिल्म रिलीज हुई तो ये उस साल की बॉक्स-ऑफिस पर सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी। इंडियन बॉक्स-ऑफिस पर इस फिल्म ने 41.66 करोड़ रुपए की कमाई की थी। उस दौरान ये रिकॉर्ड सबसे बड़ा था। फिल्म ने ओवर ऑल 99.88 करोड़ की कमाई की यानी कि कमाई के मामले में ये फिल्म 100 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी थी। उस समय 100 करोड़ के क्लब में शामिल होना कोई आसान बात नहीं थी। इस फिल्म का कान्स फिल्म फेस्टिवल में भी प्रीमियर रखा गया था। फिल्म के म्यूजिक राइट 12.5 करोड़ रुपए में बिके थे।
ऐश्वर्या राय के लिए आई 600 साड़ियां पारो बनी ऐश्वर्या ने इस फिल्म में इतनी खूबसूरत साड़ियां पहनी थी, जिसे देखने के बाद कोई उन पर से अपनी नजरें नहीं हटा सकता था। माधुरी की तरह ही ऐश्वर्या राय के लुक पर भी संजय लीला भंसाली ने कड़ी मेहनत की। फिल्म में ऐश्वर्या ने नीता लुल्ला के डिजाइन किए हुए कपड़े पहने थें। संजय लीला भंसाली ने ऐश्वर्या राय के लिए बेहतरीन साड़ी खरीदने के लिए कोलकाता के कई चक्कर काटे। संजय लीला भंसाली वहां से 100-200 नहीं बल्कि ऐश्वर्या के लिए 600 साड़ियां लेकर आए। इन्हीं साड़ियों में से ऐश्वर्या को खूबसूरत लुक दिया गया।
12 करोड़ में बना चंद्रमुखी का कोठा देवदास का सेट इतना आलीशान था कि उसे देखकर हर किसी की आंखें खुली की खुली रह गई। इस सेट को पूरा बनाने में लगभग सात से नौ महीने का वक्त लगा था। फिल्म में माधुरी दीक्षित ने चंद्रमुखी की भूमिका निभाई थी। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पारो का घर नहीं बल्कि चंद्रमुखी का कोठा फिल्म का सबसे महंगा हिस्सा था। चंद्रमुखी के कोठे को बनाने में लगभग 12 करोड़ रुपए लगे थे। जबकि पारो का घर स्टेन्ड ग्लास से बनाया गया था। शूटिंग के वक्त कई दफा बारिश भी हो जाती थी जिसकी वजह से उसे बार-बार पेंट करना पड़ता था। जिस कारण कारीगरों पर पैसे काफी खर्च हुए। पारो के घर को तैयार करने में लगभग 3 करोड़ रुपए लगे थे।
पहले के समय में फिल्मों में 2 या 3 जेनेरेटर का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन संजय लीला भंसाली का अंदाज ही कुछ अलग है। उन्होंने अपनी इस फिल्म में अलग-अलग तरह की लाइट्स का इस्तेमाल किया था जिसके कारण बहुत अधिक पावर की जरूरत थी। फिल्म के सेट पर 42 जेनेरेटर का इस्तेमाल किया गया था। फिल्म के लिए लगभग 700 लाइटमैन ने काम किया था और सिनेमेटोग्राफर बिनोद प्राधन ने शानदार विजुअल्स के लिए 2500 लाइटों का इस्तेमाल किया था।