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Same Sex Marriage: LGBT समुदाय पर बनीं ये टॉप 10 भारतीय फिल्में, शबाना आजमी की फिल्म हुई थी बैन

5 Best Indian Queer Movies: समलैंगिक विवाह और इस रिलेशनशिप के सोशल स्टेटस को मान्यता देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 18 समलैंगिक जोड़ों ने याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुप्रीमकोर्ट अपना आज फैसला सुना रहा है, इस मौके पर आइए जानते हैं भारत में बनीं वह 10 फिल्में जो LGBT समुदाय पर आधरित हैं…

Oct 17, 2023 / 12:57 pm

Krishna Pandey

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साल 1996 में बनी फायर नाम की फिल्म में शबाना आजमी और नंदीता दास को समलैंगिक जोड़े के तौर पर दिखाया गया था।

एलजीबीटी समुदाय दुनिया के सबसे हाशिये पर रहने वाले समुदायों में से एक है। अधिकांश देशों ने समलैंगिक और लेस्बियन विवाहों को वैध बना दिया है। लेकिन भारत में अभी तक इसकी मान्यता नहीं है, इसको लेकर भारत देश में कई सालों से लोग अपनी हक के लिए लड़ रहे हैं। समलैंगिक संबंध अपराध के दायरे से बाहर होने के पांच साल बाद अब समलैंगिक विवाह पर बहस चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में आज इसे लेकर फैसला आना है।
एलजीबीटी पर आधारित कई फिल्मों ने समाज को सदियों पुरानी रूढ़ियों को तोड़ने में मदद की। कई फिल्में ऐसी रहीं जिसमें समलैंगिक रिश्तों को बहुत खुलकर दिखाया गया, किसी में उन रिश्तों का अहसास कराया गया, किसी में उनके संघर्षों के दिखाया गया, लेकिन मकसद हमेशा यही रहा कि समाज इन रिशतों को स्वीकार करे।
यूं तो समलैंगिक रिश्तों पर कई फिल्में बनी हैं। कुछ फिल्मों को तो बैन भी कर दिया गया, आइए उनके बारें में जानते हैं:-

फायर-
1996 में बनी ये फिल्म वो फिल्म थी जिसमें समलैंगिकता को शायद पहली बार बॉलीवुड की मेनस्ट्रीम फिल्म में दिखाया गया था। दीपा मेहता की इस फिल्म में लेस्बियन रिश्ते दिखाए गए थे। और मुख्य भूमिकाओं में थीं शबाना आजमी और नंदिता दास। 90 के दशक में इस तरह की फिल्म का आना बहुत मायने रखता था, लिहाजा फिल्म ने बहुत आलोचनाएं झेली थीं। जिसे बैन भी कर दिया गया।
अलीगढ़
हंसल मेहता के निर्देशन में बनी इस फिल्म में श्रीनिवास रामचंद्र सिरस के जीवन की कहानी दिखाई गई थी जिन्हें उनके समलैंगिक होने के कारण नौकरी से हटा दिया गया था। फिल्म में मनोज बाजपेयी ने गे टीचर का किरदार निभाया था साथ ही राजकुमार राव भी अहम भूमिका में नजर आए थे। फिल्म में मनोज बाजपेयी के दमदार अभिनय ने लोगों को बहुत प्रभावित किया था और बहुत से लोगों की सोच को बदलने का भी काम किया था।
अनफ्रीडम
इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है फिल्म ‘अनफ्रीडम’ (Unfreedom) का। इस फिल्म का निर्माण साल 2014 में किया था। इसे इसलिए बैन कर दिया गया क्योंकि यह समलैंगिक रिश्तों पर आधारित थी। फिल्म में ज्यादा अश्लीलता होने के वजह से सेंसर बोर्ड ने इसे रिलीज करने की मंजूरी नहीं दी थी।
मार्गरिटा विद द अ स्ट्रॉ
इस फिल्म में कल्कि कोचलीन ने एक बाइसेक्सुअल महिला का किरदार निभाया था। फिल्म में दिखाया गया था कि कल्कि न्यू यॉर्क जाती है और उसे वहां एक स्त्री से प्रेम हो जाता है। जहां समाज में औरतों के आपसी संबंध को लोग गलत नजर से देखते हैं वहां इस फिल्म में इसे बहुत शानदार तरीके से दिखाया गया था। ये फिल्म दर्शाती है कि प्यार किसी सीमा, किसी शर्त या किसी ***** को देखकर नहीं किया जाता, ये किसी से भी हो सकता है।
कपूर एंड संस
इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा, आलिया भट्ट और फवाद खान ने अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि इन तीनो कलाकार के बीच लव ट्राएंगल चल रहा है, लेकिन अंत में एक सच सामने आता है। फवाद विदेश में एक दोहरा जीवन जी रहा है। वो अपने माता पिता के लिए परफेक्ट बेटा है, लेकिन वो एक गे है। जब परिवार के सामने ये सच आता है तो घर में बड़ा हंगामा होता है।
शुभ मंगल ज्यादा सावधान
जितेंद्र और आयुष्मान खुराना की इस फिल्म में गे लव स्टोरी दिखाई गई थी। फिल्म में सीधे तौर पर दिखाया गया था कि दो पुरुषों की दोस्ती तो समाज को गलत नहीं लगती, लेकिन उनके बीच का प्रेम लोगों को रोग दिखाई देता है। जितेंद्र के परिवार वाले खासकर उसके पिता आयुष्मान की पिटाई करते हैं और अपने बेटे को सब कुछ समझाते हैं जिससे दोनों का प्रेम खत्म हो जाए, लेकिन प्यार लाठी खाने से कहां दूर हुआ है। वहीं इस फिल्म में ये भी दिखाया गया था कि कानून के मुताबिक अगर दो व्यक्ति चाहे वो कोई भी हों आपसी सहमति से एक दूसरे के साथ हैं तो ये अपराध नहीं है।
Bombay Talkies
2013 में आई Bombay Talkies में भी 4 कहानियां थीं। जिसे करण जौहर, अनुराग कश्यप, जोया अख्तर और दिबाकर बनर्जी ने निर्देशित किया था। एक कहानी एक गे कपल पर फोकस्ड थी, जिसे रणदीप हुडा और सकीब सलीम ने निभाया था। इन दोनों का लिप लॉक सीन बेहद चर्चित रहा था।
दायरा-
1997 में ही अमोल पालेकर के निर्देशन में बनी फिल्म दायरा (The Square Circle) बनी थी। इस फिल्म की कहानी भी एकदम अलग थी। ये एक थिएटर एक्टर और गांव की एक लड़की के जीवन संघर्ष को दिखाती है। थिएटर एक्टर जो महिला किरदार निभाता था और लड़की जिसे पुरुष बनने पर मजबूर थी। क्रॉस ड्रेसिंग के प्रति समाज किस तरह सोचता है ये सब आप इस फिल्म में देख सकते हैं। फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं निर्मल पांडे और सोनाली कुलकर्णी ने।
दरमियां-
1997 में कल्पना लाजिमी ने दरमियां- in between बनाई थी। ये फिल्म एक फिल्म एकट्रेस और उसके किन्नर बेटे की कहानी थी। जिसमें किरण खेर और आरिफ जकारिया मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म के जरिए भी ट्रांसजेंडर के दर्द और उनके जीवन के संघर्षों को दिखाया गया था।
तमन्ना
1997 में महेश भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म तमन्ना में परेश रावल ने एक किन्नर का रोल निभाया था। फिल्म में परेश रावल एक बच्ची को पालते हैं जिसका किरदार पूजा भट्ट ने निभाया था। कहानी मूल रूप से थर्ड जेंड के प्रति समाज के नकारात्मक रवैये पर आधारित थी। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। इसी से मिलता जुलता किरदार फिल्म सड़क में सदाशिव अमरापुरकर ने निभाया था, लेकिन वो किरदार एक अलग रंग लिए हुए था। महारानी के रूप में सदाशिव फिल्म के विलेन थे।

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