फिल्म का नाम है रॉकी और रानी की प्रेम कहानी ये एक लव स्टोरी है। रॉकी यानी रणवीर सिंह दिल्ली का लड़का है मस्तमौला, अमीर परिवार से है पैसे की कोई कमी नहीं है लेकिन ज्यादा इंग्लिश नहीं जानती है देसी लड़का है वहीं रानी यानी आलिया भट्ट एक न्यूज एंकर है। एक बंगाली परिवार से है जिनका कल्चर अलग है।
ये करण जौहर की महान फिल्मों में से एक नहीं है लेकिन ये खराब फिल्म भी नहीं है। ये एंटरटेनिंग फिल्म है लेकिन करण जौहर का नाम जब कहीं जुड़ जाता है तो उम्मीद ज्यादा हो जाती है। फर्स्ट हाफ में मेन कहानी शुरू ही नहीं होती औऱ ये फिल्म का माइनस प्वाइंट है। बीच बीच में रणवीर सिंह एंटरटेन करते हैं। कुछ डायलॉग अच्छे हैं तो कुछ बचकाने हैं। सेकेंड हाफ में फिल्म एक इमोशनल टर्न लेती हैं। फिल्म में कई मुद्दों पर बात होती है। जैसे क्या घर की औरतों को अपने हिसाब से जिंदगी जीने की इजाजत नहीं है। क्या वजन ज्यादा है तो लड़की को ताने ही देते रहेंगे और सेकेंड हाफ में आपको लगता है कि करण ने फिल्म में कुछ तो डाला है।
रणवीर सिंह फिल्म की जान हैं। वो आपको हंसाते भी हैं रुलाते भी हैं लेकिन यहां लगता है कि हम रॉकी को नहीं रणवीर सिंह को देख रहे हैं क्योंकि उनका ऐसा अंदाज हम अक्सर सोशल मीडिया पर देखते रहते हैं। आलिया भट्ट की एक्टिंग अच्छी है लेकिन इससे बहुत बेहतर काम वो कर चुकी हैं। जया बच्चन रणवीर की दादी बनी हैं। यहां वो काफी सख्त मिजाज में नजर आती हैं। धर्मेंद्र का रोल कम है। शबाना आजमी का रोल कोई और भी कर सकता था। उनके जैसी सीनियर और कमाल की एक्ट्रेस के लिए ये रोल नहीं था।
प्रीतम का म्यूजिक अच्छा है। बैकग्राउंड स्कोर ज्यादातर जगहों पर अच्छा लगता है। पुराने गाने एक मजेदार फील देते हैं। कुल मिलाकर ये एक ठीक ठाक वन टाइम वॉच फिल्म है। इसे कऱण जौहर अपनी शानदार फिल्मों की लिस्ट में खुद भी नहीं रखना चाहेंगे लेकिन फिर भी ये फिल्म देखी जा सकती है।