उन्होंने कहा, ‘पहली बार जब आप एक मल्टी-स्टारर फिल्म करते हैं, तो किसी को पता होना चाहिए कि वह क्या कर रहे हैं। यदि आप इससे खुश हैं तो आपको उसमें काम करना चाहिए और इसे 100 प्रतिशत देना चाहिए।’ 40 वर्षीया रितेश का मानना है कि लोगों को मल्टी-स्टारर के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘मल्टी स्टारर फिल्म बनाना आसान नहीं है। जितने ज्यादा एक्टर्स होते हैं डायरेक्टर पर उतनी ही ज्यादा जिम्मेदारियां। शूटिंग के दौरान कलाकारों के बीच उचित समन्वय की आवश्यकता होती है। ‘हाउसफुल’ और ‘धमाल’ जैसी फिल्में अकेले अभिनेता के साथ नहीं बनाई जा सकतीं। ऐसी फिल्मों के लिए कई कलाकारों की आवश्यकता होती है। ऐसी स्क्रिप्ट के लिए कई प्रतिभाओं की आवश्यकता होती है।’
उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो, एक मल्टी-स्टारर फिल्म एक अभिनेता की वास्तविक क्षमताओं को दर्शाती है। प्रतिभाशाली कलाकारों के बीच यदि आप दर्शकों को प्रभावित करने में सक्षम हैं तो यह आपकी वास्तविक शक्तियों को दर्शाता है।’