अल्जाइमर से पीडि़त हैं दिलीप कुमार
राजेश खन्ना की ‘आनंद’ ने लिम्फोमा कैंसर के बारे में बताया था, जो घातक किस्म का ब्लड कैंसर है। ‘ब्लैक’ में अमिताभ बच्चन का किरदार अल्जाइमर से पीडि़त है। यह बीमारी दिमाग की कोशिकाओं को कमजोर करती है। आदमी की याददाश्त गड़बड़ा जाती है। त्रासदी के बादशाह दिलीप कुमार काफी समय से इसी बीमारी से जूझ रहे हैं। ‘पा’ में अमिताभ बच्चन ने ऐसे व्यक्ति का किरदार अदा किया, जो अजीबो-गरीब बीमारी प्रोजेरिया से जूझ रहा है। इसका मरीज कम उम्र में ही उम्रदराज व्यक्ति जैसा दिखने लगता है। दुनिया में करीब सौ लोग इससे पीडि़त बताए जाते हैं।
माय नेम इज खान : एस्पर्जर
ग्यारह साल पहले आई ‘माय नेम इज खान’ में शाहरुख खान का किरदार ‘एस्पर्जर’ से पीडि़त है। इस बीमारी का मरीज दूसरों से घुलने-मिलने और बात करने से कतराता है। उसे लगता है कि सामने वाला उसकी बात नहीं समझ पा रहा है, इसलिए वह एक ही बात बार-बार दोहराता है। यानी वह आत्मविश्वास नहीं जुटा पाता। एक और गंभीर बीमारी ‘क्वॉड्रीप्लेजिया’ के बारे में ऋतिक रोशन की ‘गुजारिश’ ने बताया। यह चारों अंगों का पक्षाघात है। इसका मरीज हमेशा बिस्तर पर रहता है, क्योंकि वह ज्यादा हिल-डुल नहीं सकता। ‘गुजारिश’ ऐसे मरीज की इच्छा-मृत्यु के पक्ष में खड़ी नजर आती है।
मर्द को दर्द क्यों नहीं होता?
‘हिचकी’ में रानी मुखर्जी ‘टॉरेट सिंड्रोम’ से पीडि़त हैं। इसमें दिमाग के न्यूरो ट्रांसमीटर का संतुलन गड़बड़ाने से हाव-भाव और बोले जा रहे शब्द बदल जाते हैं। वासन बाला की ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ का नायक (अभिमन्यु दासानी) ‘कनजेनिटल इनसेंसिटिविटी टू पेन’ का मरीज है। मारने-पीटने पर भी उसे दर्द का एहसास नहीं होता। फिल्म का नायक अपनी इस बीमारी का फायदा उठाकर बदमाशों की तबीयत से धुलाई करता रहता है। कुछ फिल्मों में नायकों की बीमारी या अपंगता को भी मसालेदार बनाया जाता रहा है। ‘कत्ल’ में संजीव कुमार नेत्रहीन हैं। पत्नी की बेवफाई के बाद वह एक के बाद एक हत्याएं करते रहते हैं। फिल्मी अदालत इस बात पर हैरान रहती है कि एक नेत्रहीन ने हत्याएं कैसे कीं? ‘कत्ल’ संजीव कुमार के आखिरी दौर की फिल्मों में से एक है।