नसीरुद्दीन ने एक इंटरव्यू में बताया था- मैं क्रिकेट की ड्रेस में फिल्म देखने जाता था, मेरे पास क्रिकेट पैड्स और ग्लव्ज नहीं होते थे लेकिन उस ड्रेस में मुझपर किसी को शक नहीं होता था कि मैं थियेटर जा रहा हूं। मेरे पिता एंग्लोफाइल थे यानी उन्हें ब्रिटिश कल्चर पसंद था। मुझे रविवार को फिल्म देखने को मिलती थी लेकिन वो इंग्लिश फिल्म होती थी और मैं हिंदी फिल्म देखना चाहता था। इसीलिए मुझे क्रिकेट के कपड़ों वाली तरकीब लगानी पड़ी थी। हालांकि मेरे पिता दिलीप कुमार की फिल्म देखने पर कुछ नहीं कहते थे शायद वो उन्हें भी पसंद थे।
नसीरुद्दीन ने आगे कहा- मुझे दिलीप कुमार की फिल्म गंगा जमुना बहुत अच्छी लगी थी। पर्दे पर उनके अभिनय को देखकर मैं हैरान रह गया था। मुझे उनकी परफॉर्मेंस बेहद शानदार लगती थी जबकि उनका सबसे बढ़िया अभिनय फिल्म मुगल-ए-आजम में लगा। हालांकि बचपन में मुझे ये फिल्म बोरियत से भरी हुई लगी थी लेकिन समझदार होने पर बेहतरीन एक्टिंग का एहसास हुआ।