नई दिल्ली। Know Why Sunil Dutt’s film ‘Yaadein’ registered in World Record: क्या आप जानते हैं बॉलीवुड के इस एक्टर की ‘यादें’ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Yaadein Film in Guinness Book of World Records) में शामिल है। ये भारत की पहली ऐसी फिल्म है जिसका नाम वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है। इस फिल्म में कोई और एक्टर नहीं बल्कि सुनील दत्त (Sunil Dutt Yaadein Film) थे। इसके अलावा वो इस फिल्म के निर्माता निर्देशक भी थे। आइये जानते हैं इस फिल्म की अनौखी कहानी और किरदार के बारे में जिसके कारण इस फिल्म का नाम वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ।
वर्ल्ड फर्स्ट वन एक्टर मूवी दरअसल ‘यादें’ फिल्म 1964 में रिलीज हुई थी और ये एक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी। फिल्म की शुरुआत में ही लिखा आता है- वर्ल्ड फर्स्ट वन एक्टर मूवी। इस फिल्म में सुनील दत्त का किरदार घर आता है और देखता है कि उसकी पत्नी और बच्चे घर पर नहीं है। उसको लगता है वो उसको छोड़ कर चले गए। इसके बाद जब वो अकेला हो जाता है तो वो आस-पास की चीजों और खुद से बातें करने लगता था। फिर कहानी आगे बढ़ती है।
अकेलेपन का अहसास इस फिल्म के बारे में क्यूरेटर, फिल्म इतिहासकार और लेखक अमृत गंगर ने कहा था कि “इस फिल्म में जो भी दिखाया गया वो अकेलेपन का अहसास दिखाने की कोशिश की गई थी। जब किरदाक अकेला हो जाता है तो वो अपने आसपास पड़े सामान से बातें करता है और वो कहीं ना कहीं अहसास में जीवित हो उठते हैं। पूरी फिल्म में सिर्फ एक शख्स दर्शकों बांधे रखता है ये एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इस फिल्म में जो हुआ वो पहले से नाटक और रंगमंच में होता रहा है, लेकिन बल्कि थियेटर में ये और मुश्किल होता है क्योंकि ऑडियंस वहां मौजूद होती है और अकेले व्यक्ति को सब कुछ संभालना काफी मुश्किल होता है।
औरतों की समाज में जगह इस फिल्म ने औरतों की समाज में, अपने परिवार में जगह क्या है। इसे लेकर भी सबका ध्यान अपनी और खींचा था। फिल्म में आवाज और डायलॉग के जरिए पति-पत्नी में बहस होती है, एक दूसरे के चरित्र पर लांछन लगते हैं और आदमी का किरदार अपना रोब दिखाता है।
फिल्म में पत्नी नजर नहीं आती, सिर्फ उसकी आवाज सुनाई देती है, वो आवाज होती है नरगिस की। फिल्म के एंड में नगरिस जब परछाईं के रूप में घर आती है और देखतीं है उनके पति ने फांसी लगा ली है। जब ये फिल्म खत्म होती है तो बहुत सारे सावल लोगों के मन में छोड़ जाती है। क्या सुनील बच जाते हैं, क्या सब ठीक हो जाता है। ये फिल्म पूरी तरह से लोगों को भावनाओं से जोड़ देती हैं।