महान अभिनेता एवं गायक के.एल.सहगल के गानों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। सहगल से मिलने की चाह लिए 18 वर्ष की उम्र में वे मुंबई पहुंचे लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाई।
किशोर कुमार की आवाज सहगल से काफी हद तक मेल खाती थी। बतौर गायक सबसे पहले उन्हें वर्ष 1948 में बाम्बे टाकीज की फिल्म जिद्दी में सहगल के अंदाज मे ही अभिनेता देवानंद के लिए ‘मरने की दुआएं क्यूं मांगू’ गाने का मौका मिला।
किशोर कुमार ने साल 1951 में बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म ‘आन्दोलन’ से अपने कॅरियर की शुरूआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। साल 1953 में आई फिल्म ‘लड़की’ बतौर अभिनेता उनके कॅरियर की पहली हिट फिल्म थी।
साल 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल के दौरान दिल्ली में एक सांस्कृतिक आयोजन में उन्हें गाने का न्यौता मिला। किशोर कुमार ने पारिश्रमिक मांगा तो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उनके गायन को प्रतिबंधित कर दिया गया। आपातकाल हटने के बाद पांच जनवरी 1977 को उनका पहला गाना ‘दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना’ सामने आया।
किशोर कुमार को उनके गाए गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। अपने फिल्मी कॅरियर में 600 से भी अधिक हिन्दी फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी। उन्होंने बंगला, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी और उड़िया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिए श्रोताओं को भाव विभोर किया।