अपने अनुभवों के बताते हुए उन्होंने कहा की,- मैंने जिंदगी में एक बार ही सुसाइड की कोशिश की है। दूसरी बार जब मैंने ऐसा करने की कोशिश की तो वो अपने आप को नुकसान पहुंचाने जैसा था। शीतल के मुताबिक तब मैं 15 साल की थी और जब मैं ऐसा करना चाह रही थी उस वक्त मेरे साथ गलत हो रहा था, लेकिन अपने दर्द को बांटने के लिए मेरे पास कोई नहीं था। जिसे मैं इन चीजों के बारे में बता पाती। शीतल भान आजकल के अभिभावकों से अपील करती हैं कि अपने बच्चे पर बेहद ध्यान दें। उसकी हरकतें, उसकी आदतें इन सब पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
इस वाक्या के बाद से शीतल का मनना है की हर बच्चे के माता-पिता उन्हें प्यार करते हैं, लेकिन ऐसा क्यों है कि बच्चे अपनी दिक्कतें उन्हें नहीं बताते हैं। ये आस पास का माहौल और परिस्थितियां होती हैं। शीतल ने बताया की वे अच्छी छात्रा नहीं थी, उनके नंबर अच्छे नहीं आते थे। इससे उन्हें यकीन होने लगा कि वो अपनी मम्मी-पापा की बदनामी कर रही है। शीतल के मुताबिक बच्चा होने के नाते अपने आपको दोष देना आसान होता है। इसके बाद बच्चे हद पार कर जान देने में भी नहीं चूकते हैं। उन्होंने संघर्ष के दौर में जीवन के सकारात्मक पक्ष को देखा। जब वह कॉलेज गईं तो कई ऊर्जावान लोगों से मिली और यहीं से उनकी जिंदगी ने अलग मोड़ ले ली।