मां किराए पर देती थी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स
महज नौ साल की उम्र में ही एआर रहमान के पिता का देहांत हो गया था। पिता के जाने के बाद से परिवार को आर्थिक तंगी से गुज़रना पड़ा। उस वक्त परिवार वालों का ख्याल रखने के लिए और पैसों की कमी को पूरा करने के लिए उनकी मां उनके ही पिता के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स को उधार पर दिया करती थी। म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स से मिलने वाले किराए से उनकी मां घर का खर्च चलाया करती थीं। 11 साल की उम्र में उन्होंने अपने बचपन के दोस्त शिवमणि के साथ ‘रहमान बैंड रुट्स’ के लिए सिंथेसाइजर बजाने का काम करना शुरू कर दिया था। वह पियानो, हारमोनयिम, गिटार भी बजा लेते थे।
हिंदू धर्म में मां रखती थी विश्वास
बताया जाता है कि एआर रहमान की मां करीमा बेगम सूफी संत पीर करीमुल्लाह शाह कादरी पर काफी विश्वास करती थीं। जबकि उनकी मां हिंदू धर्म को सबसे ज्यादा मानती थीं। एक पत्रिका को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने बताया था कि एक बार उनकी बहन की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। जिसके बाद उनका पूरा परिवार इस्लामिक धार्मिक स्थल गए थे। वहां बहन के बेहतरीन स्वस्थ के लिए कामना की और वहां से लौटने के बाद उनकी बहन पूरी तरह से ठीक हो गईं थीं। यही वजह थी कि एआर रहमान ने इस्लाम धर्म अपना लिया था।
नहीं पसंद था दिलीप कुमार
एआर रहमान का असली नाम दिलीप कुमार ( Dilip Kumar ) है। जो कि उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था। उनका मानना था कि उनकी पर्सनलैटी पर यह नाम सूट नहीं करता था। एक बार की बात है, जब एआर रहमान अपनी बहन की शादी के लिए एक ज्योतिष के पास उनकी कुंडली दिखाने गए थे। उस समय एआर रहमान चाहते थे कि वह अपना नाम बदल लें और उसी नाम के साथ वह अपनी नई पहचान बनाना चाहते थे। जिस ज्योतिषी के पास वह अपनी बहन की कुंडली लेकर गए थे।
उन्होंने ही एआर रहमान को अब्दुल रहमान और अब्दुल रहीम नाम रखने का सुझाव दिया। यह सुनते ही उन्हें रहमान नाम पसंद आ गया। वहीं उनकी मां चाहती थीं कि वह अपने नाम में अल्लाहरक्खा भी जोड़ें। इस तरह वह एआर रहमान बन गए। तो इस तरह एक हिंदू ज्योतिषी ने उन्हें मुस्लिम नाम दिया।