तीन साल तक रिसर्च की गई थी दरअसल आशुतोष गोवारिकर ने ‘मोहेंजो दारो’ फिल्म की कहानी से न्याय करने के लिए तीन साल तक रिसर्च की गई थी। फिल्म के सेट और लाइफस्टाइल को ठीक से फिल्माने के लिए प्रोफेसर जोनाथन मार्क केनोयर (Professor Jonathan Mark Kenoyer) को बुलाया था जो हड़प्पा सिविलाइजेशन के एक्सपर्ट थे। फिल्म की लोकेशन को लेकर भी आशुतोष ने कई जगह विजिट किया तब कहीं जाकर स्क्रीन पर प्राचीन समय को दिखा पाने में कामयाब हुए थे।
आशुतोष ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि कई जगह गया लेकिन कोई जगह सिंघु घाटी की सभ्यता दिखाने के लिए ठीक नहीं लग रही थी। इसके बाद हमारी तलाश मध्यप्रदेश के जबलपुर के भेड़ाघाट पर आकर पूरी हुई। करीब 4 हजार साल प्राचीन सभ्यता को फिल्मी पर्दे पर दिखाने की खोज हमारी यही आकर खत्म हुई थी।
नर्मदा नदी को प्रदूषित करने का आरोप जबलपुर के भेड़ाघाट में नर्मदा नदी का तट हूबहू सिंधु नदी जैसा बनाया गया। लेकिन 2015 में जब फिल्म की शूटिंग चल रही थी तो, उस वक्त काफी विवाद भी हुआ हो गया था। ऋतिक रोशन और मगरमच्छों के साथ फाइटिंग सीन के कारण आशुतोष पर नर्मदा नदी को प्रदूषित करने का आरोप लगा था।
दरअसल, फिल्म के स्क्रीन पर ऋतिक को मगरमच्छों से भिड़ते देख दर्शक स्तब्ध रह गए थे, लेकिन वो असली नहीं बल्कि आर्टिफिशियल मगरमच्छ थे। लेकिन नदी में खून बहता दिखाया गया था। जिसे देखते हुए पर्यावरण प्रेमियों ने इसके केमिकल की वजह से नदी के पॉल्यूटेड होने का आरोप लगाया था।
धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध बताया गया वहीं, कुछ इसे धार्मिक आस्था से भी जोड़ रहे हैं। नर्मदा नदी को मकरवाहिनी भी कहा जाता है यानी वह मगरमच्छ की सवारी करती हैं। ऐसे में नर्मदा नदी में ऐसा सीन शूट करना जिसमें मगरमच्छ को मारा गया, लोगों की धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध बताया गया था।
बता दें कि ऋतिक रोशन के अलावा इस फिल्म में कबीर बेदी, पूजा हेगड़े, अरुणोदय सिंह ने भी शानदार काम किया था। इस फिल्म का संगीत सिनेमाघर में सम्मोहन क्रिएट करने में कामयाब रहा था। फिल्म के गानों को जावेद अख्तर ने लिखा और संगीत ए आर रहमान ने दिया था।