साल 1936 की बॉम्बे टॉकीज के अंतर्गत बन रही फिल्म ‘जीवन नैया’ की शूटिंग शुरू होने से पहले ही उसके लीड एक्टर्स देविका रानी और नजमुल हसन के बीच मतभेद हो गए। नजमुल ने फिल्म छोड़ दी। इसके बाद हिमांशु रा की नजर कुमुदलाल उर्फ अशोक कुमार पर पड़ी। उन्होंने फिल्म में बतौर अभिनेता काम करने की पेशकश की। इसी फिल्म में डायरेक्टर ने उनका स्क्रीन नाम अशोक कुमार रखा। बाद में वे इसी नाम से मशहूर हो गए।
अशोक कुमार पहले ऐसे लीड हीरो थे, जिसने एंटी हीरो का किरदार निभाया। उन्होंने एक हीरो के तौर पर ना सिर्फ खुद को रीइन्वेंट किया बल्कि कई चेहरों को लॉन्च भी किया। बॉम्बें टॉकीज स्टूडियो के साथ प्रोड्यूसर के तौर पर काम करते हुए उन्होंने देव आनंद को वर्ष 1948 में आई फिल्म ‘जिद्दी’ में मौका दिया। इसी फिल्म के जरिए प्राण को भी पहचान मिली। बतौर हीरो प्राण ने 1940 में ही अपने कॅरियर की शुरुआत कर दी थी लेकिन उन्हें सफलता मिली फिल्म ‘जिद्दी’ से।
साल 1943 में आई फिल्म ‘किस्मत’ ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे और हर तरफ उनके नाम की चर्चा शुरू हो गई थी। अशोक कुमार हर किसी की पहली पसंद बन गए थे। यह पहली ऐसी हिंदी फिल्म थी जिसने 1 करोड़ रुपए की कमाई की थी।
राज कपूर की पत्नी भी थीं फैन
जिन दिनों राज कपूर की शादी हुई थी, उस वक्त अशोक कुमार सुपरस्टार थे। ये बात है वर्ष 1946 की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंच पर राज कपूर और उनकी पत्नी कृष्णा कपूर मौजूद थीं। अचानक शोर मच गया कि उनकी शादी में अशोक कुमार आए हैं, तो कृष्णा ने अशोक कुमार की एक झलक पाने के लिए अपना घूंघट झट से उठा दिया था। इस वजह से राज कपूर पत्नी से नाराज हो गए थे।
अशोक कुमार ने ‘अछूत कन्या’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘किस्मत’, ‘आशीर्वाद’, ‘संग्राम’, ‘समाधी’, ‘बंदिनी’, ‘चित्रलेखा’, ‘जेवेल थीफ’, ‘पाकीजा’, ‘छोटी सी बात’, ‘खूबसूरत’, ‘मिली’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया। उन्होंने 275 से भी ज्यादा फिल्मों और 30 से ज्यादा बंगाली ड्रामा में भी काम किया।