scriptBrij Sadanah ने पत्नी और बेटी के बाद खुद को मारी थी गोली, 30 साल बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी | Brij Sadanah life story from big director to killing his family | Patrika News
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Brij Sadanah ने पत्नी और बेटी के बाद खुद को मारी थी गोली, 30 साल बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी

बृज सदाना ( Brij Sadanah ) के हाथ से भी कामयाबी फिसलने लगी थी। ‘बॉम्बे 405 माइल्स’ (विनोद खन्ना, जीनत अमान), ‘ऊंचे लोग’ (राजेश खन्ना, सलमा आगा) और ‘मगरूर’ (शत्रुघ्न सिन्हा, विद्या सिन्हा) की नाकामी के बाद वे लोग भी उनसे कन्नी काटने लगे थे, जो कभी उनकी खुशामद का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते थे।

Oct 21, 2020 / 12:07 am

पवन राणा

Brij Sadanah ने पत्नी और बेटी के बाद खुद को मारी थी गोली, 30 साल बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी

Brij Sadanah ने पत्नी और बेटी के बाद खुद को मारी थी गोली, 30 साल बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी

-दिनेश ठाकुर
कई रंगों की लुभावनी रोशनी बिखेरने वाली फिल्मी दुनिया की बाहरी चमक-दमक के पीछे हताशा, तनाव और कुंठाओं के अंधेरे भी सांस लेते रहते हैं। इन्हीं अंधेरों से घिरकर कभी दिव्या भारती, तो कभी मनमोहन देसाई बाल्कनी से गिरकर स्वर्ग सिधार जाते हैं और कभी परवीन बॉबी अपने फ्लैट में मृत पाई जाती हैं। फिल्मी हस्तियों की संदिग्ध मौैत के मामले कुछ समय की सुर्खियों के बाद दाखिल दफ्तर होते रहते हैं। इनके पीछे की हकीकत दुनिया के सामने उजागर नहीं हो पाती। तीस साल पहले आज ही के दिन (21 अक्टूबर) हुए फिल्मी दुनिया के अपने किस्म के सबसे संगीन मामले की गुत्थी भी कहां सुलझ पाई है। उस दिन फिल्मकार बृज सदाना ( Brij Sadanah ) के मकान में उनके बेटे कमल सदाना ( Kamal Sadanah ) की सालगिरह का जश्न चल रहा था। कुछ देर बाद यह जश्न मातम में बदल गया, जब बृज सदाना ( Saaeda Khan ) ने अपनी पत्नी सईदा खान और बेटी नम्रता की गोली मारकर हत्या के बाद आत्महत्या कर ली। उन्होंने कमल सदाना पर भी गोली चलाई थी, लेकिन वे बाल-बाल बच गए।

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सिनेमाघरों में भीड़ खींचती थीं सदाना की मूवीज

साठ से अस्सी के दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में बृज सदाना का यह रुतबा था कि उस दौर के बड़े-बड़े सितारे उनके इर्द-गिर्द चक्कर काटते थे। उनकी ‘दो भाई’ (अशोक कुमार, जीतेंद्र, माला सिन्हा) की कहानी सलीम खान (सलमान खान के पिता) ने लिखी थी। उनकी ‘ये रात फिर न आएगी’, ‘यकीन’ (गर तुम भुला न दोगे), ‘विक्टोरिया नं. 203’, ‘चोरी मेरा काम’, ‘प्रोफेसर प्यारेलाल; और ‘मर्दों वाली बात’ जैसी मसाला फिल्में कभी सिनेमाघरों में भीड़ खींचती थीं। फिल्मों में कामयाबी प्लास्टिक की उस रस्सी की तरह है, जो किसी भी समय हाथ से फिसल सकती है।

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बेटे की सालगिरह पर चलाईं गोलियां

बृज सदाना के हाथ से भी कामयाबी फिसलने लगी थी। ‘बॉम्बे 405 माइल्स’ (विनोद खन्ना, जीनत अमान), ‘ऊंचे लोग’ (राजेश खन्ना, सलमा आगा) और ‘मगरूर’ (शत्रुघ्न सिन्हा, विद्या सिन्हा) की नाकामी के बाद वे लोग भी उनसे कन्नी काटने लगे थे, जो कभी उनकी खुशामद का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते थे। सुर्खियों का मौसम गुजरा तो बृज सदाना इंडस्ट्री के लिए भूली हुई दास्तान हो गए। इस दास्तान का बेरहम क्लाइमैक्स पत्नी और बेटी की हत्या के बाद आत्महत्या के रूप में सामने आया। आखिरी दिनों में वे बेहद चिड़चिड़े हो गए थे। शराब के नशे में कलह रोज की बात थी। बेटे की सालगिरह पर जब उन्होंने गोलियां चलाईं, तब भी वे नशे में थे। बृज सदाना की पत्नी सईदा खान किसी जमाने में अभिनेत्री हुआ करती थीं। दोनों ने प्रेम विवाह किया था। बृज सदाना की हताशा और कुंठाओ ने न प्रेम रहने दिया, न विवाह।

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पिता की तरह निर्माण-निर्देशन में आजमाया हाथ
अपने माता-पिता और बहन के इस त्रासद अंत के दो साल बाद कमल सदाना ने बतौर अभिनेता फिल्मी सफर का आगाज किया। वे काजोल की पहली फिल्म ‘बेखुदी’ (1992) के नायक थे। ‘रंग’, ‘हम सब चोर हैं’, ‘बाली उमर को सलाम’, ‘काली टोपी लाल रूमाल’, ‘हम हैं प्रेमी’ और ‘अंगारा’ समेत करीब डेढ़ दर्जन फिल्मों के बाद भी जब उनके कॅरियर में रफ्तार नहीं आई, तो वे अपने पिता की तरह निर्माण-निर्देशन की तरफ मुड़ गए। वे पिता की एक्शन-कॉमेडी ‘विक्टोरिया नं. 203’ का रीमेक पेश कर चुके हैं। रीमेक मूल फिल्म के मुकाबले निहायत कमजोर था, इसलिए न माया मिली न राम वाला मामला रहा।

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