आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस मशहूर किस्से के बारे में जब हिन्दी सिनेमा के सबसे मशहूर गायक मोहम्मद रफी और स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध लता मंगेशकर ने सालों तक एक-दूसरे के साथ गाना रिकॉर्ड नहीं किया। इस किस्से का जिक्र याशमीन खालीद रफी की किताब ‘ मोहम्मद रफी: मॉय अब्बा – ए मेमोइर’ में किया गया है।
बात 1960 के शुरूआत की है। जब प्लेबैक सिंगर्स को गानों की रॉयल्टी देने को लेकर चर्चा शुरू हुई तो लता मंगेशकर ने इसका पुरजोर समर्थन किया। लता को उम्मीद थी कि रफी साहब इस मुद्दे पर उनका समर्थन करेंगे। लेकिन रफी की राय जुदा थी। उन्होंने लता को सपोर्ट नहीं किया।
रफी साहब का कहना था कि जब गाना गाने के लिए सिंगर को प्रोड्यूसर पेमेंट करता है तो सिंगर को रॉयल्टी में से हिस्सा नहीं मांगना चाहिए। रफी का ये कहना लता को इतना बुरा लगा कि उन्होंने साथ गाना बंद कर दिया। करीब 3 साल तक दोनों ने साथ में काम नहीं किया। इस दौरान रफी साहब ने सुमन कल्याणपुरी के साथ काम किया तो लता ने महेन्द्र कपूर के साथ।
बताया जाता है कि दोनों के बीच इस मनमुटाव को खत्म करने के लिए संगीत निर्देशक जयकिशन आगे आए। उनके प्रयासों के बाद दोनों गायकों का पहला युगल गीत ‘पलकों की छांव में’ मूवी में रिकॉर्ड किया गया। एक बार एक इंटरव्यू में लता ने दावा किया था कि रफी साहब ने इस मुद्दे पर लिखित में माफी भी मांगी थी, तब जाकर साथ काम करने का फैसला लिया। हालांकि इस बात से रफी के बेटे शाहिद रफी खफा हो गए। 2012 में एक प्रेस कांफ्रेस कर लता से वे लिखित माफीनामा दिखाने का चैलेंज दिया।
आपको बता दें कि करीब 35 साल के शानदार करियर में रफी साहब ने उस जमाने के सभी मशहूर संगीतकारों और गायकों के साथ काम किया। संगीतकारों में एसडी बर्मन, शंकर-जयकिशन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और ओपी नय्यर जैसे बड़े नाम शामिल हैं।