गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में फिल्म ‘भक्त प्रहलाद’ के लिए गाने का मौका मिला। गीता दत्त ने ‘कश्मीर की कली’, ‘रसीली’, ‘सर्कस किंग’ जैसी कुछ फिल्मों के लिए भी गीत गाए लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई। इस बीच गीता दत्त की मुलाकात संगीतकार एस.डी.बर्मन से हुई। गीता दत्त में एस.डी.बर्मन को फिल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने गीता दत्त से अपनी अगली फिल्म ‘दो भाई’ के लिए गाने की पेशकश की। वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म ‘दो भाई’ गीता दत्त के सिने कॅरियर की अहम फिल्म साबित हुई और इस फिल्म में उनका गाया यह गीत ‘मेरा सुंदर सपना बीत गया’ लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म दो भाई में अपने गाए इस गीत की कामयाबी के बाद बतौर सिंगर गीता दत्त अपनी पहचान बनाने में सफल हो गईं।
गीता दत्त फिल्म ‘बाजी’ में गाना गा रही थीं और स्टूडियो में उनकी मुलाकात गुरु दत्त से हुई। गुरु दत्त और गीता को एक-दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी कर ली। बाद में दोनों की शादी में तनाव की भी खबरें आईं। कहा जाता है कि वहीदा रहमान के साथ गुरु दत्त के अफेयर की खबरों ने गीता को तोड़ दिया। गीता दत्त से जुदाई के बाद गुरुदत्त टूट से गये और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे में डूबो दिया। दस अक्तूबर 1964 को अत्यधिक मात्रा में नींद की गोलियां लेने के कारण गुरुदत्त इस दुनिया को छोड़कर चले गए।
गुरुदत्त की मौत के बाद गीता दत्त को गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने भी अपने आप को नशे में डुबो दिया। गुरुदत्त की मौत के बाद उनकी निर्माण कंपनी उनके भाइयों के पास चली गई। गीता दत्त को न तो बाहर के निर्माता की फिल्मों मे काम मिल रहा था और न ही गुरूदत्त की फिल्म कंपनी में। इसके बाद गीता दत्त की माली हालत धीरे-धीरे खराब होने लगी। कुछ वर्ष के पश्चात गीता दत्त को अपने परिवार और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ और वह पुन: फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खोई हुई जगह बनाने के लिए संघर्ष करने लगीं। इसी दौरान दुर्गापूजा में होने वाले स्टेज कार्यक्रम के लिये भी गीता दत्त ने हिस्सा लेना शुरू कर दिया। सत्तर के दशक में गीता दत्त की तबीयत खराब रहने लगी और उन्होंने एक बार फिर से गीत गाना कम कर दिया। लगभग तीन दशक तक अपनी आवाज से श्रोताओं को मदहोश करने वाली पाश्र्वगायिका गीता दत्त अंतत: 20 जुलाई 1972 को इस दुनिया से विदा हो गई।