अनुपम खेर ने इस किस्से के बारे में बात करते हुए बताया कि ‘मैं फिल्म की शूटिंग कर रहा था इस बीच अचानक मेरे चेहरे पर लकवे का अटैक पड़ गया। मैं डायरेक्टर सूरज बड़जात्या के पास गया और उन्हें बताया कि मेरा चेहरा टेढ़ा हो गया है। लेकिन शूटिंग मत रोकना।’ अनुपम ने कहा कि जीवन में चुनौतियों का सामना कर पाने से ही आपका खुद पर विश्वास बढ़ता है।
अनुपम खेर ने एक इंटरव्यू में बताया कि इसीलिए अंत्याक्षरी वाले सीन में उनका कोई क्लोज़ अप नहीं है। चेहरे के कारण ही उन्हें धर्मेंद्र का टंकी वाला सीन करने को दिया गया था, जिसमें उन्हें नशे में होने की एक्टिंग करनी थी। फिल्म में उनकी अदाकारी देख कर कोई नहीं सकता कि उन्हें पैरालिसिस था।
इसके अलावा अनुपम खेर ने एक बार यह भी खुलासा किया था कि वह डिप्रेशन (Anupam Kher Depression) से भी गुजर चुके हैं। उन्होंने बताया कि मुझे मैनिक डिप्रेशन का पता चला था। जिसके बाद मैंने डॉक्टर से सलाह ली और दवाइयां लेना शुरु कर दिया। फिर आगे बढ़ गया। डिप्रेशन से हमें अपने-अपने तरीके से डील करना होता है। इसमें परिवार के सदस्यों और दोस्तों को यह समझना चाहिए कि कोई अगर डिप्रेशन की ओर बढ़ रहा है तो उसे इससे बाहर निकालने की कोशिश करें।