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क्यों होता है सेप्टीसीमिया, जानें इसके बारे में

सेप्टीसीमिया रक्त का संक्रमण है जो जीवन के लिए घातक स्वास्थ्य जटिलता है, इसके कारण शरीर के कई अंग तंत्र प्रभावित हो सकते हैं।

Feb 20, 2018 / 12:55 am

शंकर शर्मा

Septicemia

सेप्टीसीमिया रक्त का संक्रमण है जो जीवन के लिए घातक स्वास्थ्य जटिलता है, इसके कारण शरीर के कई अंग तंत्र प्रभावित हो सकते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर रक्त दाब तेजी से गिर सकता है, आर्गेन फेलियर हो सकता है, जो मृत्यु का कारण बन सकता है। सेप्टीसीमिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन बुजुर्गों और जिनका इम्यून तंत्र कमजोर है उनमें इसकी आशंका अधिक होती है। जितनी जल्दी इसका उपचार कराया जाए उतना इसे नियंत्रित करना आसान होता है।

बैक्टीरिया का संक्रमण
सेप्टीसीमिया तब होता है जब बैक्टीरिया का संक्रमण जो शरीर में कहीं भी होता है जैसे फेफड़े या त्वचा में वह रक्त के प्रवाह में चला जाता है। यह खतरनाक होता है क्योंकि बैक्टीरिया और उसका विष रक्त प्रवाह में मिलकर पूरे शरीर में पहुंच सकता है। यह तुरंत ही जीवन के लिए घातक बन जाता है। सेप्टीसीमिया और सेप्सिस समान नहीं हैं। सेप्सिस, सेप्टीसीमिया की गंभीर जटिलता है। सेप्सिस में पूरे शरीर में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण रक्त के थक्के जम जाते हैं जिससे ऑक्सीजन शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक पहुंच नहीं पाती है। जब सूजन अत्यधिक कम रक्त दाब के साथ होती है तो उसे सेप्टिक शॉक कहते हैं।

रिस्क फैक्टर्स
इन हालात में सेप्टीसीमिया का खतरा होता है-
अगर गंभीर जख्म हों या जला हो।
छोटे बच्चों और बुजुर्गों को।
जिनका रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो गया हो जैसे एचआईवी या रक्त कैंसर के कारण।
जिन्हें यूरिनरी या इन्ट्रावेनस कैथेटर लगा हो।
ऐसा ट्रीटमेंट जिससे इम्यून तंत्र कमजोर होता है जैसे कीमोथेरेपी या स्टेरॉइड इंजेक्शन।
लंबी बीमारी, किडनी, लिवर संबंधी समस्याएं या कैंसर, एचआईवी या डायबिटीज हो।

सेप्टीसीमिया क्यों होता है?
सेप्टीसीमिया शरीर के किसी भाग में संक्रमण के कारण होता है। संक्रमण के वास्तविक स्रोत के बारे में अक्सर पता नहीं चल पाता है। सबसे सामान्य संक्रमण जो सेप्टीसीमिया का कारण बनते हैं-
मूत्रमार्ग का संक्रमण
फेफड़ों का संक्रमण जैसे न्यूमोनिया।
किडनी का संक्रमण।
पेट का संक्रमण।

इन संक्रमणों से बैक्टीरिया रक्त के प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं और तेजी से विकसित होते हैं जिससे तुरंत लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जो लोग पहले से अस्पताल में भर्ती होते हैं सर्जरी आदि के लिए उनमें इसका खतरा अधिक होता है। ये संक्रमण अधिक गंभीर हो सकता है क्योंकि बैक्टीरिया पहले से ही एंटीबायोटिक्स के प्रति रेजिस्टेंट हो सकते हैं।

बीमारी के लक्षण?
जो लोग सेप्टीसीमिया के शिकार होते हैं उनका शरीर कुछ संकेत देता है जिनको पहचान कर इलाज करना जरूरी है। संक्रमण होने के पश्चात लक्षण दिखाई देने में अधिक समय नहीं लगता है। इस बीमारी के प्रथम स्टेज पर ही मरीज बहुत बीमार दिखाई देने लगता है। सबसे सामान्य प्रारंभिक लक्षणों में-


शरीर के तापमान में बदलाव आना (तापमान 101 डिग्री फेरेनहाइट से अधिक या 98.6 डिग्री फेरेनहाइट से कम होना)।
हृदय की धडक़नें तेज हो जाना (एक मिनिट में 90 से अधिक)। सांस तेज चलना।
अगर तुरंत इलाज न कराया जाए तो लक्षण गंभीर हो जाते हैं जिनमें सम्मिलित हंै-
भ्रम या स्पष्ट रूप से न सोच पाना।
जी मचलना या उल्टी होना।
त्वचा पर लाल रंग के छोटे-छोटे बिंदू दिखाई देना। यूरीन की मात्रा कम हो जाना।
रक्त प्रवाह अपर्याप्त हो जाना।
डायरिया होना।
अगर यह लक्षण दिखाई दें तो लापरवाही ना बरतें और तुरंत पीडि़त को अस्पताल ले जाएं, घर पर उपचार करने का प्रयास न करें।

क्या सेप्टीसीमिया से बचने का कोई तरीका है?
बैक्टीरिया का संक्रमण सेप्टीसीमिया का प्रमुख कारण है। अगर संक्रमण को प्रारंभिक स्तर पर ही एंटीबॉयोटिक से उपचार किया जाए तो बैक्टीरिया को ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करने से रोका जा सकता है। बच्चों को सही समय पर जरूरी टीके लगवाकर सेप्टीसीमिया की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
अगर आपका इम्यून तंत्र कमजोर है तो निम्न सावधानियां आपको सेप्टीसीमिया से बचाने में सहायता कर सकती हैं-
धूम्रपान न करें।
नशीली दवा का सेवन न करें।
संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। नियमित रूप से अपने हाथ धोएं।
बीमार लोगों से दूर रहें।
इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय यह है कि अगर आपको लगे की आपको संक्रमण हो गया है तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसका अस्पताल में उपचार कराना चाहिए। अगर ठीक प्रकार से उपचार न कराया जाए तो यह सेप्सिस में बदल सकता है।

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